जिस तरह से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने योगी आदित्यनाथ की तारीफ की है, वह किसी ने उम्मीद नहीं की थी। पिछले कुछ दिनों से डिप्टी सीएम के तेवर को देखते हुए, केशव प्रसाद मौर्य द्वारा सीएम योगी के बारे में की गई टिप्पणी ने यूपी की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।
लोकसभा चुनावों के बाद, उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में गुटबाजी की खबरें सामने आने लगी थीं। एक ओर जहां राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ थे, वहीं दूसरी ओर डिप्टी मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य थे। इस दौरान कई ऐसे बयान भी आए, जिनसे ऐसा लगा कि यूपी भाजपा और यूपी सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। लेकिन अब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कुछ ऐसा कहा है जिससे राजनीतिक विश्लेषक भी हैरान हो गए हैं। दरअसल, केशव प्रसाद मौर्य ने अचानक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की है।
डिप्टी सीएम द्वारा योगी आदित्यनाथ की तारीफ करना किसी ने सोचा नहीं था। पिछले कुछ दिनों से डिप्टी सीएम का जो रवैया रहा है, उसे देखते हुए केशव प्रसाद मौर्य का सीएम योगी के बारे में दिया गया बयान यूपी की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है। आपको बता दें कि रविवार को डिप्टी सीएम केशव मिर्जापुर के मझवां में कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया में प्रधानमंत्री मोदी जैसा कोई प्रधानमंत्री नहीं है और देश में योगी जैसा कोई मुख्यमंत्री नहीं है।
उपचुनाव : राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य द्वारा सीएम योगी की तारीफ के पीछे यूपी में होने वाले उपचुनाव का कारण हो सकता है। भाजपा 10 सीटों पर होने वाले उपचुनावों में पूरी ताकत झोंक रही है। इन उपचुनावों की जिम्मेदारी खुद सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ली है।
सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव मौर्य को विशेष रूप से 2-2 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी गई है। मुख्यमंत्री योगी को मिल्कीपुर और कटेहरी सीटों की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि केशव प्रसाद मौर्य को मझवां और फूलपुर विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
भाजपा ने दिया संदेश : माना जा रहा है कि भाजपा ने सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव को एक संदेश भेजा है। भाजपा ने स्पष्ट रूप से संदेश दिया है कि दोनों नेताओं के बीच का विवाद आगे न बढ़े और मतभेदों का समाधान किया जाए। प्राप्त जानकारी के अनुसार, भाजपा ने निर्देश दिया है कि दोनों नेताओं की आवाज़ एक ही पृष्ठ पर दिखनी चाहिए।
दरअसल, भाजपा नहीं चाहती कि दोनों नेताओं के बीच के विवाद का खामियाजा उसे उपचुनावों में भुगतना पड़े और यह पूरा मामला सवर्ण बनाम ओबीसी में तब्दील हो जाए। उपचुनावों में पार्टी की रणनीति स्पष्ट है कि सवर्ण और ओबीसी को एकजुट करके जीत का परचम लहराया जाए।