बोधगया: महाबोधि महाविहार आंदोलन ने पकड़ी रफ्तार, देशभर में ऐतिहासिक प्रदर्शन
बोधगया में महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन अब पूरे देश में व्यापक रूप ले चुका है। 12 मार्च को लाखों लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया, जिसकी अगुवाई महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन समिति के संयोजक डॉ. विलास खरात कर रहे हैं। आंदोलनकारियों की मांग है कि बिहार सरकार बीटी एक्ट निरस्त करे और महाबोधि महाविहार को बौद्ध भिक्षुओं को सौंपे। इस मुद्दे ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का रूप ले लिया है और इसे संसद और बिहार विधानसभा में भी उठाया जा चुका है।

INDC Network : नई दिल्ली, भारत :देशभर में सड़कों पर उतरे करोड़ों लोग
12 मार्च को देश के हर राज्य में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए। महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और राजस्थान सहित सभी राज्यों के जिला और राजधानी स्तर पर बड़े प्रदर्शन दर्ज किए गए। आंदोलनकारी बिहार सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि वह बीटी एक्ट को समाप्त कर महाबोधि महाविहार को बौद्ध भिक्षुओं को सौंपे।
लोकसभा और विधानसभा में गूंजा मामला
इस आंदोलन को कई राजनीतिक नेताओं का समर्थन मिल रहा है। कुछ दिन पहले आजाद समाज पार्टी के लोकसभा सांसद एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद ने लोकसभा में यह मुद्दा उठाया था। डॉ. विलास खरात की उनसे मुलाकात भी हुई थी, जिसके बाद उन्होंने बीटी एक्ट निरस्त करने की मांग दोहराई। इस मामले को बिहार विधानसभा में भी कई नेताओं द्वारा उठाया गया है।
आंदोलन की प्रमुख तिथियां और घटनाक्रम
तारीख | घटना |
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28 फरवरी | देशभर में ज्ञापन सौंपे गए |
6 मार्च | देशभर में धरना प्रदर्शन |
12 मार्च | लाखों लोग सड़कों पर, बड़ा विरोध प्रदर्शन |
क्या है आंदोलन की मुख्य मांगें?
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बीटी एक्ट को तुरंत रद्द किया जाए।
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महाबोधि महाविहार का नियंत्रण बौद्ध भिक्षुओं को सौंपा जाए।
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बिहार सरकार इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाए।
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संविधानिक और कानूनी रूप से बौद्ध समुदाय को उनके अधिकार दिए जाएं।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्व
यह आंदोलन अब सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहा। इसकी गूंज अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच रही है। बौद्ध समुदाय अपने ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए एकजुट हो रहा है और यह आंदोलन बौद्ध धरोहर संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है।
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