आगरा में किसानों का आंदोलन: यमुना एक्सप्रेसवे पर मुआवजे के लिए हंगामा, प्रशासन के हाथ पांव फूले

आगरा में किसानों ने यमुना एक्सप्रेसवे पर अपनी जमीन और मुआवजे की मांग को लेकर बड़ा प्रदर्शन किया। 2009 में जमीन अधिग्रहण के बाद से न तो मुआवजा दिया गया और न ही जमीन वापस की गई। प्रशासन की समझाइश के बाद भी किसान अपनी मांगों पर अड़े हैं।

Dec 30, 2024 - 12:08
May 19, 2025 - 17:24
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आगरा में किसानों का आंदोलन: यमुना एक्सप्रेसवे पर मुआवजे के लिए हंगामा, प्रशासन के हाथ पांव फूले

INDC Network : आगरा, उत्तर प्रदेश : आगरा में किसानों का आंदोलन: यमुना एक्सप्रेसवे पर मुआवजे के लिए हंगामा, प्रशासन के हाथ पांव फूले

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किसानों का प्रदर्शन: एक्सप्रेसवे पर उग्र आंदोलन

रविवार को आगरा के 13 गांवों के किसानों ने यमुना एक्सप्रेसवे पर मुआवजे और जमीन की वापसी की मांग को लेकर जाम लगा दिया। सैकड़ों किसान महिलाओं के साथ लाठी-डंडे लेकर प्रदर्शन में शामिल हुए। किसानों ने इनररिंग रोड की सर्विस लाइन से टेंट हटाकर एक्सप्रेसवे पर लगा दिया।

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प्रशासन की कोशिशें नाकाम

घटना की जानकारी मिलते ही एसडीएम, एसीपी, नायब तहसीलदार और कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों के समझाने के बाद भी किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे।


क्यों फूटा किसानों का गुस्सा?

आगरा विकास प्राधिकरण (ADA) ने 2009 में 442.44 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की थी।

किसानों की शिकायतें:

  1. मुआवजा नहीं दिया गया: किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा अब तक नहीं मिला।
  2. खतौनी से नाम काटे गए: 2014 में बिना सुलह के किसानों की खतौनी से नाम काटकर ADA के नाम दर्ज कर दिए गए।
  3. 14 साल से कोई हल नहीं: किसानों ने कई बार धरने और प्रदर्शन किए, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ।
साल घटनाक्रम
2009 ADA ने 442.44 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की।
2014 खतौनी से बिना सुलह के नाम काटे गए।
2024 किसानों ने अनिश्चितकालीन धरने की रणनीति बनाई।

किसानों की मांग और आंदोलन की योजना

मांगें:

  • अधिग्रहित भूमि का मुआवजा।
  • जमीन वापस की जाए।

आंदोलन की योजना:

  • यमुना एक्सप्रेसवे की एक लाइन बंद कर दी गई।
  • किसानों ने कहा कि यदि मांगे नहीं मानी गईं, तो दूसरी लाइन पर भी धरना होगा।

किसान नेताओं की भूमिका

संयुक्त किसान मोर्चा के प्रदीप शर्मा, भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष पवन समाधिया, और अंशुमान ठाकुर ने आंदोलन का नेतृत्व किया।

संगठन का समर्थन:

किसान संगठनों ने किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया और आंदोलन को अनिश्चितकाल तक जारी रखने का ऐलान किया।


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