PDA की सियासत में आक्रामक हुए अखिलेश, दलित वोटबैंक खिसकने से भाजपा-बसपा परेशान

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यूपी में ठाकुर वर्चस्व पर सवाल उठाकर PDA (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) कार्ड को धार दी है। रामजी लाल सुमन और अवधेश प्रसाद को आगे कर दलित राजनीति में मजबूती से उतरने वाली सपा अब भाजपा और बसपा दोनों की नींव हिलाने की कोशिश कर रही है। इस रणनीति से भाजपा और बसपा की बेचैनी साफ दिख रही है।

Apr 22, 2025 - 09:46
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PDA की सियासत में आक्रामक हुए अखिलेश, दलित वोटबैंक खिसकने से भाजपा-बसपा परेशान

INDC Network : उत्तर प्रदेश : अखिलेश की बदली रणनीति: PDA पर फोकस, ठाकुर वर्चस्व पर सीधा हमला

समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा दांव खेला है। अब तक 'सबका साथ-सबका विकास' की तर्ज पर राजनीति कर रही सपा ने PDA (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) वर्ग को केंद्र में रखते हुए भाजपा और बसपा दोनों पर एक साथ निशाना साधा है।

सितंबर 2024 में सुल्तानपुर लूटकांड के आरोपी मंगेश यादव के एनकाउंटर के बाद STF को ‘स्पेशल ठाकुर फोर्स’ कहकर अखिलेश ने जो सियासी बयानबाज़ी शुरू की थी, वह अब एक बड़ी रणनीति में बदल चुकी है।


भाजपा पर हमला: "टी-टाइटल वालों का शासन"

प्रयागराज, चित्रकूट, आगरा, मैनपुरी, जालौन जैसे जिलों में ठाकुर जाति के थानाध्यक्षों की अधिक संख्या को लेकर अखिलेश यादव ने सीधे योगी आदित्यनाथ सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उनका कहना है कि भाजपा को पीडीए से कोई मतलब नहीं है, उन्हें सिर्फ ‘टी’ यानी ठाकुर टाइटल पसंद है।


PDA का गणित और 2024 में इसका असर

लोकसभा चुनाव 2024 में PDA वर्ग का प्रतिनिधित्व

वर्ग सपा गठबंधन जीती सीटें भाजपा जीती सीटें अन्य
कुल सीटें 80
सपा+कांग्रेस (PDA) 37 (सपा-30, कांग्रेस-7)
सुरक्षित सीटें (17) 8 (सपा-7, कांग्रेस-1) 8 1 (ASP)
PDA से चुने सांसद (%) 86%

सपा ने जिन सीटों पर जीत दर्ज की, उनमें अधिकांश प्रत्याशी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग से आए हैं। यह सपा की रणनीति को सफल मानने का आधार भी बन गया है।


बसपा पर सीधी सेंध: अवधेश प्रसाद और रामजी लाल सुमन की एंट्री

अवधेश प्रसाद: गैर-जाटव दलित चेहरा

  • फैजाबाद सीट से विजेता

  • संसद में अग्रिम पंक्ति में स्थान

  • गैर-जाटव दलितों के बीच प्रभावशाली नेता

 रामजी लाल सुमन: जाटवों को साधने की कोशिश

  • राज्यसभा सांसद, आगरा से सपा नेता

  • राणा सांगा विवाद के बाद सपा ने किया समर्थन

  • करणी सेना के विरोध ने दलित बनाम ठाकुर विमर्श को जन्म दिया

रामजी लाल के पक्ष में सपा का खुला समर्थन मायावती के लिए बड़ा झटका बन गया है, क्योंकि जाटव वोट बैंक बसपा की रीढ़ रहा है।


(अखिलेश यादव ने इटावा में खोल दिए बड़े बड़े राज)


ठाकुर बनाम दलित की लड़ाई: सपा ने भाजपा को उलझाया

रामजी लाल सुमन के विवादित बयान ने भाजपा और करणी सेना को सपा के खिलाफ मोर्चा खोलने का मौका तो दिया, लेकिन सपा ने इस हमले को दलित स्वाभिमान का मुद्दा बना दिया।

  • करणी सेना की तलवारें और प्रदर्शन: आगरा में प्रदर्शन, तलवारों और हथियारों का प्रदर्शन

  • अखिलेश का पलटवार: करणी सेना = ‘योगी सेना’ बताया

  • सपा नेताओं की सक्रियता: राम गोपाल यादव, शिवपाल सिंह यादव और खुद अखिलेश ने सुमन से मुलाकात की


बसपा की बेचैनी: मायावती ने खोला पुराना पिटारा

दलित वोटों की सपा की इस रणनीति ने बसपा प्रमुख मायावती को आक्रामक कर दिया है। उन्होंने 19 अप्रैल को सपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा:

  • सपा जातिवादी पार्टी है

  • 2 जून 1995 गेस्ट हाउस कांड की याद

  • प्रमोशन में आरक्षण पर सपा का विरोध

  • बहुजन समाज के महापुरुषों से जुड़े संस्थानों के नाम बदलना

मायावती ने साफ कहा कि सपा कभी भी बहुजनों की हितैषी नहीं हो सकती।


अब मुकाबला जाति नहीं, हिस्सेदारी का

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यूपी की राजनीति अब सिर्फ जातियों के वोट तक सीमित नहीं रह गई है, अब मुद्दा है हिस्सेदारी का।

प्रमुख विश्लेषक क्या कहते हैं?

रामदत्त त्रिपाठी (वरिष्ठ पत्रकार):

"रामजी लाल सुमन के बयान के बाद जो प्रतिक्रियाएं आईं, उसी ने अखिलेश को अवसर दिया। मायावती की कमजोरी सपा की ताकत बनती जा रही है। भाजपा को भी इस विमर्श से नुकसान हो सकता है।"


भाजपा उलझी, मायावती अटकी और सपा बढ़ी

भाजपा को उम्मीद थी कि औरंगजेब विवाद के बहाने हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण होगा। लेकिन रामजी लाल सुमन के बयान ने पूरा नैरेटिव बदल दिया। अब लड़ाई ठाकुर बनाम दलित बन गई है।

भाजपा जहां इस विवाद से किनारा करने में लगी है, वहीं सपा ने इसे धार देकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधा है।


क्या सपा की PDA रणनीति भाजपा-बसपा दोनों पर भारी पड़ेगी?

अखिलेश यादव ने जातिगत राजनीति को एक नए विमर्श – ‘प्रतिनिधित्व आधारित हिस्सेदारी’ – में बदलने की कोशिश की है।

अगर दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वाकई सपा के इस नरेटिव में साथ आ गए, तो 2027 का विधानसभा चुनाव भाजपा और बसपा दोनों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

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Arpit Shakya Hello! My Name is Arpit Shakya from Farrukhabad (Uttar Pradesh), India. I am 18 years old. I have been working for INDC Network news company for the last 3 years. I am the founder and editor in chief of this company.