क्या मिलेगा समाधान? किसान और मजदूरों की संयुक्त आवाज़ दिल्ली तक गूंजी

किसान और मजदूर 26 नवंबर 2024 को अपनी समस्याओं और 12 सूत्रीय मांगों को लेकर देशव्यापी विरोध कर रहे हैं। यह ज्ञापन राष्ट्रपति को भेजकर मजदूरों और किसानों की समस्याओं पर ध्यान देने की अपील की गई है। सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते हुए, प्रदर्शनकारी एमएसपी कानून, श्रम कोड की समाप्ति, निजीकरण रोकने और महिला सशक्तिकरण जैसे प्रमुख मुद्दों पर समाधान की मांग कर रहे हैं।

Nov 26, 2024 - 18:48
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क्या मिलेगा समाधान? किसान और मजदूरों की संयुक्त आवाज़ दिल्ली तक गूंजी

INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : क्या मिलेगा समाधान? किसान और मजदूरों की संयुक्त आवाज़ दिल्ली तक गूंजी

कृषि और मजदूर संकट: विरोध की आवश्यकता क्यों?

26 नवंबर 2024 को मजदूर और किसान संगठनों ने अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर विरोध दिवस मनाया। मजदूरों और किसानों की संयुक्त लामबंदी का उद्देश्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठाना और उनके समाधान की दिशा में ध्यान आकर्षित करना है।

इस आंदोलन की पृष्ठभूमि 2020 के कृषि कानून विरोध और श्रम संहिताओं के खिलाफ प्रदर्शन में है। हालाँकि कृषि कानून वापस ले लिए गए थे, लेकिन किसानों से किए गए वादे अभी तक पूरे नहीं हुए।


सरकार की नीतियों से बढ़ता संकट

किसानों और मजदूरों के लिए संकट की मुख्य वजहें निम्नलिखित हैं:

समस्या विवरण
कम MSP वृद्धि फसल लागत हर साल 12-15% बढ़ रही है, जबकि MSP में केवल 2-7% की बढ़ोतरी हो रही है।
निजीकरण का बढ़ता असर रेलवे, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों का निजीकरण आत्मनिर्भरता को खतरे में डाल रहा है।
सब्सिडी में कटौती खाद्य सब्सिडी में 60,470 करोड़ और उर्वरक सब्सिडी में 62,445 करोड़ रुपये की कटौती हुई।
श्रम कोड की समस्याएं चार श्रम संहिताएं न्यूनतम मजदूरी, सुरक्षित रोजगार और यूनियन बनाने के अधिकार खत्म कर रही हैं।

मुख्य मांगें: 12 सूत्रीय एजेंडा

प्रदर्शनकारी मजदूर और किसान निम्नलिखित 12 प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं:

मांग विवरण
1. MSP की गारंटी C2+50% फार्मूले के तहत सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत MSP।
2. श्रम कोड रद्द चार श्रम संहिताओं को निरस्त करना और सभी के लिए रोजगार सुनिश्चित करना।
3. राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन सभी मज़दूरों के लिए ₹26,000 मासिक न्यूनतम वेतन और ₹10,000 पेंशन।
4. कर्जमुक्ति किसानों और खेत मज़दूरों के लिए व्यापक कर्ज माफी।
5. निजीकरण रोकना रेलवे, बिजली और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण रोकना।
6. कृषि निगमीकरण पर रोक डिजिटल कृषि मिशन और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से समझौते को समाप्त करना।
7. भूमि अधिकार 2013 भूमि अधिग्रहण अधिनियम और वन अधिकार कानून को लागू करना।
8. मनरेगा में सुधार मनरेगा के तहत 200 दिन का काम और ₹600 प्रतिदिन मजदूरी।
9. फसल बीमा किसानों और काश्तकारों के लिए व्यापक बीमा योजना लागू करना।
10. पेंशन योजना 60 वर्ष की आयु से सभी के लिए ₹10,000 मासिक पेंशन।
11. सामाजिक विभाजन को समाप्त करना विभाजनकारी नीतियों को खत्म करना और महिलाओं व बच्चों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करना।
12. गन्ना मूल्य वृद्धि गन्ने का समर्थन मूल्य ₹500 प्रति क्विंटल किया जाए।

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सरकार की उपेक्षा के खिलाफ लामबंदी

प्रदर्शनकारी आरोप लगा रहे हैं कि सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा के साथ 9 दिसंबर 2021 को हुए समझौते का पालन नहीं किया। तालकटोरा स्टेडियम में हुए पहले अखिल भारतीय मजदूर-किसान महाधिवेशन (24 अगस्त 2023) में पारित मांग पत्र के बावजूद सरकार ने ध्यान नहीं दिया।


संकट की गंभीरता

संकट क्षेत्र प्रभाव
भुखमरी और कुपोषण 36% बच्चे कुपोषित, 57% महिलाएं एनीमिया से पीड़ित।
महंगाई का प्रभाव रसोई गैस, डीजल, पेट्रोल और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ीं।
बढ़ता पलायन ग्रामीण युवा कृषि संकट के कारण शहरों में पलायन को मजबूर।

  • इस ज्ञापन के माध्यम से प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति से अपील कर रहे हैं कि वे इन समस्याओं को हल करने और मजदूर-किसान विरोधी नीतियों को बदलने के लिए हस्तक्षेप करें। यह आंदोलन सरकार को इन मुद्दों पर जवाबदेह बनाने का प्रयास है।

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