बुद्ध जयंती शोभा यात्रा पर प्रशासनिक रोक, डॉ. नवल शाक्य का तीखा प्रहार भाजपा पर भी!
11 मई 2025 को फर्रुखाबाद में प्रस्तावित तथागत बुद्ध जयंती शोभा यात्रा को डीएम ने सुरक्षा कारणों से रद्द कर दिया, जबकि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो चुका था। कार्यक्रम में विशेष अतिथि डॉ. नवल किशोर शाक्य ने प्रशासनिक फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए भाजपा नेताओं पर पक्षपात के आरोप लगाए।

INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : युद्धविराम के बावजूद प्रशासन ने शोभा यात्रा की अनुमति नहीं दी
फर्रुखाबाद में 11 मई 2025 को आयोजित की जाने वाली तथागत बुद्ध जयंती शोभा यात्रा को लेकर विवाद सामने आया। प्रशासन ने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति का हवाला देकर यात्रा की अनुमति नहीं दी। जबकि उसी दिन सुबह दोनों देशों के बीच सीजफायर का समझौता हो चुका था।

मंचीय कार्यक्रम को मिली अनुमति, यात्रा पर रोक बनी रही
यात्रा की अनुमति न मिलने के बावजूद मंचीय कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें कई सांस्कृतिक और धार्मिक प्रस्तुतियाँ हुईं। विशेष रूप से अंगुलिमाल डाकू की प्रस्तुति और तथागत बुद्ध के त्याग जीवन पर नाट्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। गायकों ने पूरी शाम गीतों से बुद्ध के संदेश को जन-जन तक पहुंचाया।
डॉ. नवल किशोर शाक्य का तीखा बयान
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए डॉ. नवल किशोर शाक्य ने मंच से अपनी बात रखते हुए प्रशासन पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा:
"अगर मैं फर्रुखाबाद से सांसद होता, तो मेरी धमक इतनी होती कि डीएम तो क्या, कमिश्नर भी शोभा यात्रा की अनुमति देने को मजबूर होते।"
उन्होंने भाजपा पर भी आरोप लगाए कि उनके आयोजनों को प्रशासन अनुमति दे देता है, लेकिन बुद्ध जयंती जैसे धार्मिक आयोजन के साथ भेदभाव किया गया।
कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों की सूची
पद/स्थिति | नाम |
---|---|
एटा-कासगंज लोकसभा सांसद | देवेश शाक्य |
आंवला (बरेली) लोकसभा सांसद | नीरज मौर्य |
पूर्व लोकसभा प्रत्याशी फर्रुखाबाद | नागेंद्र सिंह शाक्य |
अमृतपुर विधानसभा विधायक | सुशील शाक्य |
अमापुर के पूर्व प्रत्याशी | सत्यभान शाक्य |
कपिल नगर पंचायत पूर्व प्रत्याशी | अशोक कुमार मौर्य |
कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण
-
तथागत बुद्ध के जीवन पर आधारित नाट्य प्रस्तुति
-
अंगुलिमाल डाकू के जीवन परिवर्तन की प्रेरक कथा
-
लोकगायकों द्वारा गीतों की प्रस्तुति
-
समाजिक और सांस्कृतिक एकता का संदेश
निष्कर्ष
जहां एक ओर कार्यक्रम ने शांति और समरसता का संदेश दिया, वहीं प्रशासनिक अनुमति ना मिलने से बुद्ध अनुयायियों में निराशा भी देखी गई। डॉ. नवल किशोर शाक्य के राजनीतिक बयान और भाजपा पर लगे आरोपों से कार्यक्रम का स्वर और भी तीव्र हो गया।
What's Your Reaction?






