महाबोधि महाविहार: बौद्ध समाज की आस्था पर अन्याय कब तक ? चंद्रशेखर आजाद ने सरकार को चेतावनी दी!

नगीना लोकसभा से सांसद और आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने महाबोधि महाविहार पर बौद्ध भिक्षुओं के अधिकार को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक ऐतिहासिक धरोहर नहीं, बल्कि बौद्ध समाज की आस्था, अस्मिता और अधिकार का प्रतीक है। BT Act 1949 बौद्धों के साथ एक बड़ा अन्याय है, जिसे खत्म किया जाना चाहिए। भिक्षु-भिक्षुणियों के आमरण अनशन को समर्थन देते हुए, उन्होंने सरकार से मांग की कि महाबोधि महाविहार को बौद्ध समाज को सौंपा जाए, अन्यथा बहुजन समाज निर्णायक संघर्ष करेगा।

Feb 20, 2025 - 16:00
May 25, 2025 - 15:52
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महाबोधि महाविहार: बौद्ध समाज की आस्था पर अन्याय कब तक ? चंद्रशेखर आजाद ने सरकार को चेतावनी दी!

INDC Network : बोधगया, बिहार : महाबोधि बिहार खबर : महाबोधि महाविहार पर बौद्ध समाज का अधिकार, चंद्रशेखर आजाद ने सरकार से की सीधी मांग

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बोधगया: महाबोधि महाविहार को लेकर बौद्ध समाज में लंबे समय से असंतोष बना हुआ है। इसी संदर्भ में आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना लोकसभा से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने सरकार से सीधी मांग करते हुए कहा है कि यह केवल एक ऐतिहासिक धरोहर नहीं, बल्कि बौद्ध समाज की आस्था, अस्मिता और अधिकार का प्रतीक है। उन्होंने इसे बौद्ध भिक्षुओं के स्वाभाविक अधिकार का मामला बताते हुए BT Act 1949 को अन्यायपूर्ण करार दिया और इसे तत्काल खत्म करने की मांग की।

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महाबोधि महाविहार: बौद्ध आस्था का प्रतीक

महाबोधि महाविहार बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। यही वह स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। लेकिन वर्तमान में इसका प्रशासन गैर-बौद्धों के नियंत्रण में है, जिससे बौद्ध समुदाय में गहरा असंतोष है।

महाबोधि महाविहार की वर्तमान स्थिति:

विषय स्थिति
स्थान बोधगया, बिहार
धार्मिक महत्व भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली
वर्तमान प्रबंधन गैर-बौद्धों का प्रशासनिक नियंत्रण
मुख्य विवाद बौद्ध भिक्षुओं को अधिकार नहीं
समाधान की मांग बौद्ध भिक्षुओं को सौंपा जाए

BT Act 1949: बौद्धों के अधिकारों पर अन्याय?

BT Act 1949 वह अधिनियम है जिसके कारण बौद्ध भिक्षु अपने ही धार्मिक स्थल के पूर्ण प्रबंधन से वंचित हैं। इस कानून के तहत, महाबोधि महाविहार का प्रशासन गैर-बौद्धों के हाथों में चला गया, जिससे बौद्ध समाज को अपने धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

BT Act 1949 के कारण बौद्धों को क्या नुकसान हो रहा है:

अधिनियम का प्रावधान परिणाम
गैर-बौद्धों को प्रशासनिक दायित्व बौद्ध भिक्षुओं का अधिकार सीमित
धार्मिक स्थल पर सरकारी दखल बौद्धों की धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित
निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं सांस्कृतिक अस्मिता को नुकसान

महाबोधि महाविहार की मुक्ति के लिए आमरण अनशन

बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों ने महाबोधि महाविहार पर अपने अधिकार की मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू कर दिया है। यह केवल भूख हड़ताल नहीं, बल्कि हजारों वर्षों से चले आ रहे अन्याय के खिलाफ बौद्ध समाज का एक ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन है।

महत्वपूर्ण घटनाक्रम:

घटना स्थिति
भिक्षुओं का आमरण अनशन जारी
BT Act 1949 के खिलाफ प्रदर्शन देशभर में तेज हो रहा है
सरकार से मांग महाबोधि महाविहार बौद्ध भिक्षुओं को सौंपा जाए

चंद्रशेखर आजाद की सरकार को सीधी चेतावनी

चंद्रशेखर आजाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा कि बौद्ध भिक्षुओं को उनका धार्मिक अधिकार दिया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने इस मांग पर ध्यान नहीं दिया, तो पूरा बहुजन समाज सड़कों पर उतरकर निर्णायक संघर्ष करेगा

उन्होंने कहा, "यह केवल महाबोधि महाविहार की मुक्ति की लड़ाई नहीं, बल्कि बहुजन समाज के आत्मसम्मान और सांस्कृतिक पुनरुद्धार की लड़ाई भी है। यदि सरकार ने इस अन्याय को समाप्त नहीं किया, तो हम किसी भी स्तर तक जाने को तैयार हैं।"

क्या हो सकता है आगे?

  • बौद्ध समाज का विरोध प्रदर्शन और तेज हो सकता है।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार की आलोचना बढ़ सकती है।
  • बौद्ध समाज के लोग कानूनी लड़ाई का रास्ता अपना सकते हैं।

महाबोधि महाविहार पर बौद्धों का हक क्यों जरूरी?

बौद्ध समाज का मानना है कि महाबोधि महाविहार केवल एक धरोहर नहीं, बल्कि उनकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है। इस स्थल पर बौद्ध भिक्षुओं का अधिकार होना चाहिए ताकि वे अपनी धार्मिक परंपराओं को बिना किसी हस्तक्षेप के निभा सकें।

सरकार के लिए अग्निपरीक्षा का समय

अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह बौद्ध समाज की मांगों को कैसे देखती है। क्या BT Act 1949 को खत्म कर महाबोधि महाविहार को बौद्ध भिक्षुओं को सौंपा जाएगा या फिर यह आंदोलन और व्यापक होगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस विवाद का क्या समाधान निकालती है।

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Arpit Shakya नमस्कार! मैं अर्पित शाक्य, INDC Network का मुख्य संपादक हूँ। मेरा उद्देश्य सूचनाओं को जिम्मेदारी और निष्पक्षता के साथ आप तक पहुँचाना है। INDC Network पर मैं स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खबरों को आपकी भाषा में सरल, तथ्यपरक और विश्वसनीय रूप में प्रस्तुत करता/करती हूँ। पत्रकारिता के क्षेत्र में मेरा विश्वास है कि हर खबर का सच सामने आना चाहिए, और यही सोच मुझे जनहित से जुड़ी खबरों की तह तक जाने के लिए प्रेरित करती है। चाहे वह गाँव की आवाज़ हो या देश की बड़ी हलचल – मेरा प्रयास रहता है कि आपके सवालों को मंच मिले और जवाब मिलें। मैंने INDC Network को एक ऐसे डिजिटल मंच के रूप में तैयार किया है, जहाँ लोकल मुद्दों से लेकर ग्लोबल घटनाओं तक हर आवाज़ को जगह मिलती है। यहाँ मेरी प्रोफ़ाइल के माध्यम से आप मेरे द्वारा लिखे गए समाचार, लेख, इंटरव्यू और रिपोर्ट्स पढ़ सकते हैं।