मिल्कीपुर उपचुनाव 2024: जातीय समीकरण साधने की होड़ में सपा-भाजपा, किसकी होगी जीत?

अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए रास्ता साफ होने के बाद सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी सपा ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। इस सीट के जातीय समीकरण और राजनीतिक रणनीतियों पर नजर डालें तो दलित और ब्राह्मण वोट निर्णायक भूमिका निभाएंगे। जहां सपा ने अपने सांसद के बेटे को उम्मीदवार बनाया है, वहीं भाजपा का उम्मीदवार घोषित होना बाकी है।

Dec 1, 2024 - 15:18
Dec 1, 2024 - 15:18
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मिल्कीपुर उपचुनाव 2024: जातीय समीकरण साधने की होड़ में सपा-भाजपा, किसकी होगी जीत?

INDC Network : उत्तर प्रदेश : मिल्कीपुर उपचुनाव 2024: जातीय समीकरण साधने की होड़ में सपा-भाजपा, किसकी होगी जीत?

क्यों हो रहा मिल्कीपुर में उपचुनाव?

मिल्कीपुर विधानसभा सीट का उपचुनाव 2022 के विधानसभा चुनावों में निर्वाचन को लेकर दायर याचिकाओं के कारण रुका हुआ था। हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इन याचिकाओं को वापस लेने की अनुमति दी, जिससे इस उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया।
यह सीट अयोध्या लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। सपा सांसद अवधेश प्रसाद के इस्तीफे के बाद यह उपचुनाव जरूरी हो गया है।


मिल्कीपुर उपचुनाव के प्रमुख जातीय समीकरण

जातीय समूह संख्या (लगभग) महत्व
दलित 1,20,000 निर्णायक भूमिका
यादव (ओबीसी) 55,000 सपा का परंपरागत वोट बैंक
मुस्लिम 30,000 सपा को समर्थन की उम्मीद
ब्राह्मण 60,000 भाजपा के लिए अहम
क्षत्रिय 25,000 संतुलन साधने वाले मतदाता
अन्य पिछड़े वर्ग शेष मतदाता निर्णायक स्थिति

भाजपा और सपा की रणनीतियां

भाजपा, हालिया नौ सीटों के उपचुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद, मिल्कीपुर सीट पर कब्जा जमाने की कोशिश में है। दूसरी ओर, सपा ने इस सीट को बरकरार रखने के लिए सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मैदान में उतारा है।


भाजपा के लिए चुनौती और अवसर

भाजपा ने हाल ही में कुंदरकी जैसे सपा के गढ़ में जीत दर्ज कर अपनी ताकत दिखाई है। मिल्कीपुर सीट जीतना उसके लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है।


सपा का 'पीडीए' फॉर्मूला

सपा का फॉर्मूला (पिछड़े-दलित-अल्पसंख्यक) इस सीट पर निर्णायक हो सकता है। पिछले लोकसभा चुनावों में इस फॉर्मूले ने काम किया था, अब इसे दोहराना चुनौती होगी।


बसपा और कांग्रेस का रुख

बसपा ने पहले ही उपचुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी है। कांग्रेस संभवतः सपा को समर्थन देगी।


जातीय समीकरण की भूमिका

मिल्कीपुर सीट के 3.5 लाख मतदाताओं में दलित सबसे बड़ी संख्या में हैं। जातीय समीकरणों में दलित, ब्राह्मण, यादव, और अन्य पिछड़े वर्ग का समर्थन जीतना किसी भी दल के लिए जीत का रास्ता साफ करेगा।


मिल्कीपुर का राजनीतिक इतिहास

2002 में सपा नेता अवधेश प्रसाद ने भाजपा के बाबा गोरखनाथ को हराकर यह सीट जीती थी। प्रसाद ने 49.99% वोट हासिल किए थे। यह सीट सपा के लिए पारंपरिक गढ़ रही है।

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Arpit Shakya Hello! My Name is Arpit Shakya from Farrukhabad (Uttar Pradesh), India. I am 18 years old. I have been working for INDC Network news company for the last 3 years. I am the founder and editor in chief of this company.