रामबन में कुदरत का तांडव: जब पूरा इलाका मलबे में तब्दील हो गया
जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में 20 अप्रैल 2025 को भारी बारिश और बादल फटने की घटना ने एक भयावह प्राकृतिक आपदा को जन्म दिया। अचानक आई बाढ़ ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और दर्जनों परिवार बेघर हो गए। राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी हैं, लेकिन बुनियादी ढांचे की बहाली और लोगों के पुनर्वास की चुनौती अभी भी बाकी है। यह रिपोर्ट घटनाओं का पूरा ब्यौरा देती है।

INDC Network : जम्मू- कश्मीर : भारत : आपदा की भयावहता: क्या हुआ 20 अप्रैल को?
20 अप्रैल 2025 की रात रामबन के धर्मकुंड क्षेत्र में बादल फटने की घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। अचानक आई बाढ़ ने तीन लोगों की जान ले ली और एक व्यक्ति अब तक लापता है। गांव के गांव मलबे में तब्दील हो गए और सैकड़ों लोग बेघर हो गए।
जनजीवन पर असर: सड़कें, संचार और जीवन हुआ ठप
इस आपदा का सबसे बड़ा प्रभाव श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) पर पड़ा, जो कई जगहों पर भूस्खलन और सड़क धंसने की वजह से पूरी तरह बंद हो गया।
NHAI के मुताबिक, इस हाईवे को पूरी तरह बहाल करने में 4 से 5 दिन का समय लग सकता है। इससे परिवहन, आपूर्ति और राहत सामग्री की आवाजाही पर असर पड़ा है।
राहत और बचाव: संकट में उम्मीद की किरण
राहत कार्यों के लिए NDRF, SDRF, सेना और पुलिस की टीमें युद्धस्तर पर लगी हुई हैं। अब तक 500 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। प्रभावित इलाकों में अस्थायी शिविर लगाए गए हैं, जहां भोजन और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
स्थानीय प्रतिक्रिया: गुस्सा और मांगें
रामबन के विधायक अर्जुन सिंह ने इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से विशेष राहत पैकेज की अपील की है।
इस दौरान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के काफिले को स्थानीय निवासियों ने रोका और अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात की।
प्रशासन की चेतावनी: सतर्क रहें, सुरक्षित रहें
प्रशासन ने क्षेत्र में रह रहे लोगों को खराब मौसम को देखते हुए सतर्क रहने की सलाह दी है।
विशेष रूप से श्रीनगर-जम्मू हाईवे और किश्तवाड़-सिंथन-अनंतनाग मार्ग पर यात्रा से पहले स्थानीय अधिकारियों से जानकारी लेने की अपील की गई है।
पुनर्वास की आवश्यकता: सिर्फ राहत नहीं, अब नए जीवन की शुरुआत
जहा एक ओर राहत कार्य जारी हैं, वहीं दूसरी ओर पुनर्वास एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रही है। सैकड़ों परिवार अपने घर खो चुके हैं और उन्हें नए आशियानों की ज़रूरत है।
स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवी संगठन इसके लिए मिलकर प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इस कार्य के लिए दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता है।
आंकड़ों की तालिका (Table of Impact):
विवरण | आँकड़े |
---|---|
घटना की तिथि | 20 अप्रैल 2025 |
स्थान | धर्मकुंड, रामबन, जम्मू-कश्मीर |
मौतें | 3 व्यक्ति |
लापता | 1 व्यक्ति |
पूरी तरह नष्ट घर | 100+ |
आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घर | 25–30 |
सुरक्षित निकाले गए लोग | 500+ |
मुख्य सड़कें प्रभावित | श्रीनगर-जम्मू NH-44 |
राहत में शामिल एजेंसियाँ | NDRF, SDRF, सेना, पुलिस |
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