पेरिस ओलंपिक 2024: नीरज चोपड़ा ने जीता रजत पदक, अरशद नदीम ने तोड़ा ओलंपिक रिकॉर्ड

पेरिस ओलंपिक 2024 में नीरज चोपड़ा ने टोक्यो में अपने स्वर्ण पदक का बचाव करने में असफल रहते हुए रजत पदक जीता। उनका सर्वश्रेष्ठ थ्रो 89.45 मीटर था, जो उन्हें दूसरे स्थान पर ले गया। पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 92.97 मीटर के ओलंपिक रिकॉर्ड थ्रो के साथ स्वर्ण पदक हासिल किया। नीरज ने इस पदक के साथ भारत के पदकों की संख्या पांच कर दी है।

Aug 9, 2024 - 02:57
Aug 9, 2024 - 17:34
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पेरिस ओलंपिक 2024: नीरज चोपड़ा ने जीता रजत पदक, अरशद नदीम ने तोड़ा ओलंपिक रिकॉर्ड
Image Sourse : Olympic Khel (X)

INDC Network : खेल :  पेरिस ओलंपिक 2024 : 13 दिन के इंतजार और अपने अभियान की अंतिम स्पर्धा में, भारत ने पेरिस ओलंपिक 2024 में आखिरकार कांस्य के अलावा एक और पदक हासिल कर लिया। भारतीय एथलेटिक्स के चमकते सितारे नीरज चोपड़ा टोक्यो में जीते अपने स्वर्ण पदक का बचाव तो नहीं कर सके, लेकिन उन्होंने रजत पदक जीतकर भारत का पहला पदक पक्का कर दिया। नीरज का दूसरा और एकमात्र वैध थ्रो 89.45 मीटर का था, जो इस सीजन का उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। हालांकि, यह पाकिस्तान के अरशद नदीम को पीछे छोड़ने के लिए काफी नहीं था, जिन्होंने 92.97 मीटर का ओलंपिक रिकॉर्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

नीरज चोपड़ा ने टोक्यो में स्वर्ण पदक नहीं जीत पाने के बावजूद, पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का पहला रजत पदक दिलाया। इस शानदार प्रदर्शन के साथ, नीरज ने भारत के कुल पदकों की संख्या पांच कर दी, और देश को एक और पदक जीतने का मौका भी दिया। पुरुषों की 50 मीटर राइफल 3 पोजिशन फाइनल में स्वप्निल कुसाले के कांस्य पदक के बाद, भारत ने छह दिन तक कोई पदक नहीं जीता था। लेकिन नीरज के रजत और गुरुवार शाम को पुरुष हॉकी टीम के कांस्य पदक के साथ यह सूखा खत्म हुआ।

नीरज चोपड़ा अब सुशील कुमार के बाद ओलंपिक में कई पदक जीतने वाले भारत के दूसरे व्यक्तिगत पुरुष एथलीट बन गए हैं। पेरिस खेलों में नीरज से बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन उनके सामने जूलियन वेबर, एंडरसन पीटर्स और अरशद नदीम जैसे दुर्जेय प्रतिद्वंद्वी थे। प्रतियोगिता की शुरुआत में नीरज, अरशद और वेबर सभी ने अपने पहले प्रयास में फाउल किया। अरशद ने जल्दी ही स्थिति संभाली और 90 मीटर का निशान पार कर नीरज पर दबाव बना दिया। नीरज ने अपने दूसरे प्रयास में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन तीसरे प्रयास में फिर फाउल कर बैठे। तीन राउंड के बाद, शीर्ष आठ में पहुंचने के बाद भी नीरज को वडलेज, पीटर्स, येगो और वेबर से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।

चौथे राउंड में पीटर्स ने 88.54 मीटर का थ्रो कर बढ़त बनाई, जबकि नीरज दूसरे स्थान पर रहे। हालांकि नीरज ने स्थिति सुधारने की कोशिश की, लेकिन एक और फाउल कर दिया। पांचवें राउंड में भी नीरज के थ्रो को फाउल करार दिया गया। इसके बाद, अरशद नदीम ने 84.87 मीटर का थ्रो कर अपनी बढ़त बरकरार रखी। नीरज का अंतिम प्रयास भी फाउल हो गया, और इस तरह उन्होंने रजत पदक हासिल किया।

अरशद नदीम ने अपने अंतिम थ्रो में 91.79 मीटर की दूरी तय कर स्वर्ण पदक जीता और इस शानदार उपलब्धि का जश्न मनाया।


नीरज चोपड़ा के 2020 के टोक्यो ओलंपिक स्वर्ण पदक के बारे में

नीरज चोपड़ा ने 2020 के टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। यह सफलता कई सालों की कठिन मेहनत, समर्पण और साहस का परिणाम थी। नीरज की यह उपलब्धि न केवल व्यक्तिगत रूप से उनके लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय बनी। इस लेख में, हम उनके ओलंपिक सफर को विस्तार से जानेंगे।

नीरज चोपड़ा की प्रारंभिक जीवन और प्रेरणा

नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत जिले के खांद्रा गांव में हुआ था। वे एक किसान परिवार से आते हैं और बचपन से ही खेलों के प्रति उनके लगाव ने उन्हें एक एथलीट बनने के लिए प्रेरित किया। नीरज का वजन बचपन में काफी अधिक था, और उनके परिवार ने उन्हें खेलों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि उनका वजन कम हो सके। इसी समय उन्होंने पहली बार भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) का अभ्यास करना शुरू किया।

उनके पहले कोच जयवीर सिंह ने उन्हें भाला फेंकने की तकनीक सिखाई और उनके अंदर छिपी प्रतिभा को पहचाना। इसके बाद, नीरज ने अपने खेल कौशल को और भी निखारा और उन्होंने जल्दी ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू कर दिया। उनकी कड़ी मेहनत और जुनून ने उन्हें जल्द ही एथलेटिक्स की दुनिया में एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया।

टोक्यो ओलंपिक 2020 की तैयारी

2020 के टोक्यो ओलंपिक की तैयारी के लिए नीरज ने दिन-रात कड़ी मेहनत की। हालांकि COVID-19 महामारी के कारण ओलंपिक को एक साल के लिए स्थगित कर दिया गया था, लेकिन नीरज ने अपनी तैयारी में कोई कमी नहीं आने दी। उन्होंने इस दौरान अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया।

नीरज ने जर्मनी के प्रसिद्ध कोच क्लॉस बार्टोनिट्ज़ के साथ प्रशिक्षण किया, जिन्होंने उनकी तकनीक में सुधार किया और उन्हें नई रणनीतियाँ सिखाईं। उनके प्रशिक्षण का हिस्सा ताकत, गति, और तकनीक को संतुलित करना था। इसके अलावा, नीरज ने अपनी मानसिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए भी ध्यान और योग का सहारा लिया।

टोक्यो ओलंपिक 2020 में नीरज का प्रदर्शन

टोक्यो ओलंपिक 2020 में नीरज का प्रदर्शन अद्वितीय था। 7 अगस्त 2021 को, उन्होंने भाला फेंक प्रतियोगिता के फाइनल में भाग लिया। नीरज ने पहले ही प्रयास में 87.03 मीटर की दूरी तय की, जो उन्हें बढ़त दिलाने के लिए पर्याप्त थी। उनके दूसरे प्रयास में उन्होंने 87.58 मीटर की दूरी पर भाला फेंक कर अपनी बढ़त को और मजबूत किया।

नीरज का तीसरा प्रयास फाउल हो गया, लेकिन चौथे और पांचवें प्रयासों में भी वे 84 मीटर से अधिक की दूरी तय करने में सफल रहे। अंतिम राउंड में भी नीरज ने अपने धैर्य और आत्मविश्वास को बनाए रखा। उनकी यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण थी कि उन्होंने न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी खुद को अच्छी तरह से तैयार किया था।

ऐतिहासिक जीत

जब नीरज के प्रतियोगी अपने अंतिम प्रयासों में नीरज के प्रदर्शन को पार नहीं कर सके, तब यह स्पष्ट हो गया कि नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीत लिया है। नीरज ने अपने देश को एथलेटिक्स में पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक दिलाकर इतिहास रच दिया। इस जीत के साथ नीरज चोपड़ा भारत के उन खिलाड़ियों में शामिल हो गए जिन्होंने ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता है।

उनकी इस उपलब्धि ने न केवल उन्हें एक नायक के रूप में स्थापित किया, बल्कि भारत के लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना। उनके इस प्रदर्शन ने साबित कर दिया कि भारत भी एथलेटिक्स जैसे खेलों में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकता है और जीत सकता है।

नीरज की जीत का प्रभाव

नीरज चोपड़ा की इस ऐतिहासिक जीत ने भारत में खेलों के प्रति जागरूकता और रुचि को नया जीवन दिया है। उनकी सफलता ने देश के युवा एथलीटों को प्रेरित किया है कि वे अपने सपनों का पीछा करें और उन्हें हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करें।

इसके अलावा, उनकी जीत ने सरकार और खेल संघों को भी एथलीटों के समर्थन में और अधिक संसाधन प्रदान करने के लिए प्रेरित किया है। नीरज ने अपनी सादगी और समर्पण के माध्यम से साबित कर दिया है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है।

नीरज चोपड़ा की 2020 ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने की कहानी संघर्ष, साहस और दृढ़ता की एक प्रेरणादायक गाथा है। उन्होंने अपने खेल के प्रति जो समर्पण दिखाया, वह हर एथलीट के लिए एक मिसाल है। उनकी इस ऐतिहासिक जीत ने न केवल भारत को गर्वित किया, बल्कि एक नई पीढ़ी को अपने सपनों का पीछा करने के लिए प्रेरित भी किया है।

इस जीत के साथ, नीरज चोपड़ा ने यह साबित कर दिया कि भारत का भविष्य एथलेटिक्स में उज्ज्वल है और अगर सही दिशा और समर्थन मिले, तो भारतीय खिलाड़ी विश्व मंच पर लगातार उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं। उनकी इस उपलब्धि ने उन्हें न केवल एक महान एथलीट, बल्कि एक सच्चा राष्ट्रीय नायक बना दिया है।

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