झुग्गी से सुप्रीम कोर्ट तक: भारत को मिले, पहले बौद्ध CJI, जानिए Justice बीआर गवई की कहानी
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। वे देश के पहले बौद्ध और दलित समुदाय से आने वाले दूसरे CJI बने हैं। अमरावती की झुग्गी बस्ती से निकलकर उन्होंने इस सर्वोच्च पद तक की यात्रा सकारात्मक सोच, संघर्ष और अंबेडकरवादी विचारधारा के बल पर पूरी की। उनके पिता रामकृष्ण गवई भी प्रमुख अंबेडकरवादी नेता और राज्यपाल रह चुके हैं। जस्टिस गवई का कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक रहेगा।

INDC Network : नई दिल्ली : बचपन से CJI बनने तक का प्रेरणादायक सफर:
जस्टिस गवई का जन्म एक साधारण बौद्ध दलित परिवार में हुआ। वे अमरावती की फ्रेजरपुरा नामक झुग्गी बस्ती में पले-बढ़े और वहीं के नगरपालिका स्कूल में जमीन पर बैठकर पढ़ाई की। पिता राजनीति में व्यस्त रहते थे, इसलिए मां कमलाताई ने उनका पालन-पोषण किया।

घर के कामों में मदद करने वाले भूषण ने शिक्षा को कभी बोझ नहीं समझा। मराठी माध्यम से पढ़ाई करते हुए उन्होंने बीकॉम के बाद कानून की पढ़ाई की और 25 की उम्र में वकालत शुरू की। नागपुर बेंच में सरकारी वकील बनने के बाद उन्हें 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट का जज बनाया गया।
मुख्य जानकारी सारणी (Table Format):
जानकारी | विवरण |
---|---|
पूरा नाम | जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई |
जन्म | 24 नवंबर 1960, अमरावती, महाराष्ट्र |
पद | भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) |
कार्यकाल की समाप्ति | 23 नवंबर 2025 |
धर्म | बौद्ध (पिता ने डॉ. अंबेडकर के साथ अपनाया था) |
प्रारंभिक शिक्षा | नगरपालिका स्कूल, फ्रेजरपुरा, अमरावती |
कानून की पढ़ाई | अमरावती विश्वविद्यालय |
पेशेवर शुरुआत | 25 वर्ष की उम्र में वकालत से |
न्यायिक नियुक्ति | 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज के रूप में |
स्थायी जज नियुक्ति | 2005 में |
सुप्रीम कोर्ट जज बने | 2019 में |
पिता का नाम | रामकृष्ण सूर्यभान गवई |
पिता का राजनीतिक योगदान | सांसद, राज्यसभा सदस्य, राज्यपाल, RPI (गवई) संस्थापक |
विशेष निर्णय | बुलडोजर कार्रवाई, UAPA, राहुल गांधी मानहानी केस |
न्यायपालिका में अहम भूमिका:
जस्टिस गवई ने सुप्रीम कोर्ट में कई बड़े और राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों की सुनवाई की। वे उस बेंच का हिस्सा रहे जिसने दिल्ली में बुलडोजर की कार्रवाई को असंवैधानिक बताया। साथ ही उन्होंने UAPA और मनी लॉन्ड्रिंग कानूनों में गिरफ्तारी पर भी अहम फैसले दिए।
जुलाई 2023 में राहुल गांधी को मानहानी केस में सजा के खिलाफ राहत देने वाली बेंच में भी वे शामिल थे। यहां उन्होंने खुद के कांग्रेस से पारिवारिक संबंध को कोर्ट के सामने रखते हुए निष्पक्षता की मिसाल पेश की।
अंबेडकरवादी विरासत और विचारधारा:
डॉ. अंबेडकर की प्रेरणा से उनके पिता ने बौद्ध धर्म अपनाया और सामाजिक न्याय की राजनीति की। जस्टिस गवई ने खुद भी एक भाषण में कहा था:
“अगर आज मैं इस पद तक पहुंचा हूं, तो यह बाबा साहेब की देन है। जय भीम।”
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