गोमती नगर घटना को लेकर उत्तर प्रदेश में राजनीतिक तनाव बढ़ा : योगी और अखिलेश के बीच बहस
लखनऊ के गोमती नगर में हुई हालिया घटना ने राजनीतिक विवाद का रूप ले लिया है, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच तीखी नोकझोंक हुई है। योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कुछ खास लोगों का नाम लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई करने का वादा किया, जबकि अखिलेश यादव ने चुनिंदा लोगों को निशाना बनाए जाने की आलोचना की, सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया और उपलब्ध सीसीटीवी फुटेज के आधार पर व्यापक कार्रवाई की मांग की।

INDC Network : लखनऊ (उत्तर प्रदेश) : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोमती नगर में हुई एक घटना ने राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। इस घटना में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के बीच तीखी बयानबाजी हो रही है। मामला तब शुरू हुआ जब लखनऊ के गोमती नगर के अंबेडकर पार्क के पास भारी बारिश के कारण सड़क पर पानी भर गया। इस पानी में कुछ लड़के खेल रहे थे और राहगीर वहां से गुजर रहे थे। इसी दौरान, एक महिला अपने परिवार के साथ स्कूटी पर सवार होकर वहां से गुजर रही थी। लड़कों के पानी उछालने से महिला की स्कूटी फिसल गई और वह गिर गई। इस घटना को महिला के साथ छेड़छाड़ के मामले के रूप में दर्ज किया गया, और इसकी जानकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंची।
योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर तुरंत प्रतिक्रिया दी और विधानसभा में इसे लेकर वक्तव्य दिया। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि घटना में शामिल कुछ आरोपियों के नाम सामने आ गए हैं, जिनमें पवन यादव और एक मुस्लिम युवक का नाम शामिल है। उन्होंने इन दोनों पर सख्त कार्रवाई की बात कही। हालांकि, उस समय घटनास्थल पर कई अन्य लोग भी मौजूद थे, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने उनके नाम का उल्लेख नहीं किया, जिससे इस मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है।

अखिलेश यादव, जो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में कन्नौज से सांसद हैं, ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि योगी आदित्यनाथ ने केवल पवन यादव और मुस्लिम युवक पर कार्रवाई की बात की, जबकि अन्य आरोपियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने योगी आदित्यनाथ के इस फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि पुलिस विभाग सरकार के इशारों पर काम कर रहा है और न्यायपूर्ण कार्रवाई नहीं की जा रही है।
पवन यादव ने भी इस मामले में अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें जबरदस्ती इस मामले में फंसाया गया है। पवन यादव के अनुसार, वह घटना के समय वहां मौजूद नहीं थे और उन्हें बेवजह गिरफ्तार किया गया। वह अपने परिवार का एकमात्र पुत्र है और उसके पिता की तबीयत अक्सर खराब रहती है, जबकि उसकी मां एक किराने की दुकान चलाती हैं। पवन का दावा है कि वह केवल थोड़ी देर के लिए घर से बाहर टहलने निकला था और एक जगह चाय पी रहा था, लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और घटना का आरोपी बना दिया।
पवन यादव की गिरफ्तारी के 15 दिन बाद उसे जमानत पर रिहा किया गया, और उसने अखिलेश यादव से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ की सरकार पर आरोप लगाया कि वे केवल समाजवादी पार्टी के समर्थकों, यादवों और मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रहे हैं, जबकि घटना में शामिल अन्य लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि पुलिस के पास घटना का सीसीटीवी फुटेज और अन्य वीडियो क्लिप्स मौजूद हैं, जिनके आधार पर सभी आरोपियों की पहचान की जा सकती है। उन्होंने मांग की कि इन सबूतों का इस्तेमाल करते हुए सभी दोषियों को गिरफ्तार किया जाए, न कि केवल चुनिंदा लोगों को। अखिलेश ने आरोप लगाया कि योगी आदित्यनाथ की सरकार इस मामले को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रही है, और केवल उन्हीं पर कार्रवाई कर रही है जो भाजपा से जुड़े नहीं हैं।
योगी आदित्यनाथ ने अपने बयान में यह भी कहा कि महिलाओं के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और इस मामले में दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन अखिलेश यादव ने सवाल उठाया कि क्या योगी आदित्यनाथ भाजपा से जुड़े अन्य आरोपियों पर भी वही सख्ती दिखाएंगे जो उन्होंने पवन यादव और मुस्लिम युवक के मामले में दिखाई है। इस घटना ने राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है, जहां अब भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच तनाव और बढ़ गया है।
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