सबसे छोटी संख्या लिखने की नई और तार्किक अवधारणा के खोजक गणितज्ञ रत्नेश शाक्य का बीईओ ने किया सम्मान

उत्तर प्रदेश के भोगांव बीआरसी में खंड शिक्षा अधिकारी सर्वेश यादव ने गणितज्ञ रत्नेश कुमार को ‘सबसे छोटी संख्या’ की नवीन वैज्ञानिक अवधारणा प्रस्तुत करने पर सम्मानित किया। इस खोज ने पारंपरिक गणनाओं को चुनौती देते हुए एक नई तार्किक प्रणाली का उद्घाटन किया है, जिसे भारत सरकार से कॉपीराइट सुरक्षा भी प्राप्त है। रत्नेश अब इस विचार को जिला पुस्तकालय में विस्तार से प्रस्तुत करेंगे।

Apr 23, 2025 - 11:06
Apr 23, 2025 - 11:22
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सबसे छोटी संख्या लिखने की नई और तार्किक अवधारणा के खोजक गणितज्ञ रत्नेश शाक्य का बीईओ ने किया सम्मान

INDC Network : मैनपुरी, उत्तर प्रदेश : खंड शिक्षा अधिकारी ने किया नवाचार का सम्मान


मैनपुरी ज़िले के सुल्तानगंज विकासखंड के बीआरसी भोगांव में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) श्री सर्वेश यादव ने गणितज्ञ रत्नेश कुमार को "शिक्षक सम्मान प्रमाण पत्र" प्रदान कर सम्मानित किया। यह सम्मान उनकी उस खोज के लिए था, जिसने पारंपरिक रूप से स्वीकार की गई ‘सबसे छोटी संख्या’ की अवधारणा को पूरी तरह से बदल दिया।

बैठक का उद्देश्य और शिक्षक समुदाय की भागीदारी

इस कार्यक्रम का आयोजन प्राथमिक शिक्षक एवं प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के पदाधिकारियों और सदस्यों द्वारा नवागत खंड शिक्षा अधिकारी से शिष्टाचार भेंट के रूप में किया गया था। बैठक के समापन पर जब रत्नेश कुमार ने अपनी गणितीय खोज प्रस्तुत की, तो पूरा सभागार तालियों की गूंज से गूंज उठा।


(गणितज्ञ रत्नेश शाक्य का INDC Network पर धमाकेदार इंटरव्यू देखिए)


क्या है रत्नेश कुमार की खोज?

रत्नेश कुमार ने एक सामान्य लेकिन गूढ़ समस्या पर ध्यान केंद्रित किया—जब अंकों में ‘0’ शामिल हो, तो उन अंकों से बनने वाली सबसे छोटी संख्या को कैसे लिखा जाए। पारंपरिक गणित में इस स्थिति में 0 को प्रथम स्थान पर नहीं रखा जा सकता, क्योंकि कोई भी संख्या 0 से प्रारंभ नहीं होती।

लेकिन रत्नेश की अवधारणा इसे वैज्ञानिक और तार्किक आधारों पर चुनौती देती है।

परंपरागत बनाम रत्नेश की अवधारणा:

दिए गए अंक पारंपरिक सबसे छोटी संख्या रत्नेश की नवीनतम संख्या
0, 1 10 01
0, 1, 2 102 012

खोज की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि

रत्नेश कुमार की अवधारणा गणित के निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित है:

  1. अंकों की अदला-बदली (Permutation)

  2. 9 के अंतर की विशेषता

  3. 9 एवं 11 से विभाज्यता का नियम

  4. सम-विषम संख्या सिद्धांत

  5. फेक्टोरियल नियम

इन सिद्धांतों के समावेश से यह प्रणाली केवल तार्किक ही नहीं, अपितु गणितीय रूप से भी अत्यधिक सशक्त है।


क्या है इसमें नवीनता?

रत्नेश का मानना है कि किसी भी अंकमाला में यदि ‘0’ शामिल है, तो उसे प्रथम स्थान पर रखने से कोई तार्किक या गणितीय समस्या उत्पन्न नहीं होती यदि हम संख्या की अवधारणा को एक प्रतीकात्मक क्रम मानें। इससे विद्यार्थी शून्य को भी एक उपयोगी और सशक्त अंक के रूप में देख सकेंगे।


विद्यार्थियों के लिए कैसे उपयोगी है यह अवधारणा?

रत्नेश कुमार की यह विधि जटिल गणनाओं को सहज, सरल और जीवनोपयोगी बनाती है। विद्यार्थी इसे सरलता से समझ पाते हैं और इससे उनकी तार्किक सोच और विश्लेषणात्मक क्षमता में वृद्धि होती है। इससे गणित को डराने वाली नहीं, बल्कि प्रेरणादायक विषय के रूप में देखा जाने लगेगा।


भारत सरकार से कॉपीराइट सुरक्षा प्राप्त

रत्नेश कुमार ने इस खोज को “सबसे छोटी संख्या लिखने के रत्नेश के तर्क” नाम से 10 मार्च 2025 को भारत सरकार के कॉपीराइट कार्यालय में विधिवत पंजीकृत कराया है। उन्हें डायरी नंबर प्राप्त हो चुका है, जिससे यह खोज कानूनी रूप से संरक्षित हो गई है।


सम्मान समारोह में रहे ये प्रमुख लोग उपस्थित

इस अवसर पर शिक्षक संगठन के पदाधिकारी और कई गणमान्य शिक्षक उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से:

  • जितेन्द्र राजपूत

  • पुष्पेंद्र चौहान

  • विनोद कुमार राजपूत

  • जयकरन सिंह राजपूत

  • प्रवन कुमार

  • हर्ष चौहान

  • शैलेंद्र सिंह

  • जैन पाल

  • रंजीत, धीरज, राजीव यादव, योगेंद्र कुमार


भविष्य की योजनाएँ: जिला पुस्तकालय में होगा प्रस्तुतिकरण

रत्नेश कुमार अपनी इस खोज को अब मैनपुरी के राजकीय जिला पुस्तकालय में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, गणित विशेषज्ञों और समस्त शैक्षिक समुदाय के समक्ष विस्तार से प्रस्तुत करने जा रहे हैं।


पहले भी कर चुके हैं देशभर में प्रदर्शन

रत्नेश कुमार पहले भी अपनी तीन अन्य खोजों:

  • विभाज्यता का महासूत्र

  • विभाज्यता का तीव्रतम महासूत्र

  • संख्या बटे 0

को देश के 100 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों में प्रदर्शित कर चुके हैं। इन तीनों खोजों पर भी उन्हें भारत सरकार से कॉपीराइट पंजीकरण प्राप्त है।


नवाचार से प्रेरणा

यह पहल दर्शाती है कि शिक्षक केवल कक्षा में पढ़ाने तक सीमित नहीं होते। रत्नेश कुमार जैसे शिक्षक नवाचार, अनुसंधान और राष्ट्रीय शैक्षिक विकास के प्रतीक हैं। इनकी खोज आने वाली पीढ़ियों को गणित से जोड़ने में एक नया पुल साबित हो सकती है।

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Arpit Shakya Hello! My Name is Arpit Shakya from Farrukhabad (Uttar Pradesh), India. I am 18 years old. I have been working for INDC Network news company for the last 3 years. I am the founder and editor in chief of this company.