सांसद चंद्रशेखर आजाद ने लोकसभा में उठाई मांग, कहा-यूपी को चार भागों में बांटा जाए

उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने राज्य के विकास को तेज़ी से बढ़ाने के लिए यूपी को चार हिस्सों में विभाजित करने की मांग की है। उनका मानना है कि छोटे राज्यों में विकास की गति तेज होती है, जिससे जनता को बेहतर सुविधाएं और नौजवानों को रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त होते हैं। इस प्रस्ताव को लेकर राजनीतिक दलों में मतभेद हैं, लेकिन चंद्रशेखर अपने विचारों पर अडिग हैं।

Aug 10, 2024 - 10:53
Sep 28, 2024 - 17:16
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सांसद चंद्रशेखर आजाद ने लोकसभा में उठाई मांग, कहा-यूपी को चार भागों में बांटा जाए
Image Sourse : Sansad TV (Youtube)

INDC Network : नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से सांसद और आजाद समाज पार्टी के मुखिया, चंद्रशेखर आजाद ने हाल ही में लोकसभा में उत्तर प्रदेश के विभाजन का एक प्रस्ताव रखा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य के विकास को गति देने के लिए उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में विभाजित कर देना चाहिए। चंद्रशेखर का मानना है कि छोटे राज्यों में प्रशासन और विकास कार्यों की गति तेज होती है, जिससे जनता को अधिक लाभ मिलता है और नौजवानों को रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त होते हैं।

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उत्तर प्रदेश के विभाजन की मांग

सांसद चंद्रशेखर आजाद ने अपनी बात रखते हुए संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की पुस्तक का हवाला दिया, जिसमें छोटे राज्यों के फायदे की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि जब राज्य छोटा होगा, तो वहां की प्रगति तेज होगी, सरकार की योजनाएं अधिक प्रभावी ढंग से लागू होंगी, और लोगों को सरकारी सेवाओं का बेहतर लाभ मिलेगा। उनके अनुसार, बड़े राज्यों में प्रशासन की जटिलताएं बढ़ जाती हैं, जिससे विकास की गति धीमी हो जाती है। चंद्रशेखर का मानना है कि उत्तर प्रदेश का विभाजन ही एकमात्र तरीका है जिससे राज्य के विकास को गति दी जा सकती है और जनता को बेहतर जीवनस्तर प्राप्त हो सकता है।

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चंद्रशेखर आजाद का दृष्टिकोण

एनडीटीवी से बातचीत में चंद्रशेखर आजाद ने कहा, "उत्तर प्रदेश एक बहुत बड़ा राज्य है। इसमें 80 लोकसभा सीटें और 403 विधानसभा सीटें हैं, और 25 करोड़ से अधिक की आबादी है। ऐसे में विकास कार्यों की निगरानी और प्रभावी कार्यान्वयन में कठिनाई होती है।" उन्होंने कहा कि सरकार भले ही पांच किलो राशन दे रही है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। राज्य की जनता को रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए गंभीर प्रयासों की आवश्यकता है।

सांसद चंद्रशेखर का कहना है कि यदि उत्तर प्रदेश को छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित कर दिया जाए, तो प्रशासन और विकास कार्यों की निगरानी आसान हो जाएगी। इससे न केवल नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे, बल्कि जनता तक सरकारी योजनाओं का लाभ भी प्रभावी ढंग से पहुंच सकेगा। चंद्रशेखर ने कहा, "हमारी प्राथमिकता उत्तर प्रदेश की जनता है। यदि राज्य का विभाजन किया जाता है, तो इससे विकास के नए अवसर पैदा होंगे और जनता को बेहतर जीवनस्तर प्राप्त होगा।"


पहले भी उठ चुकी है मांग

उत्तर प्रदेश के विभाजन की मांग नई नहीं है। इससे पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो, मायावती भी उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने की बात कर चुकी हैं। 2011 में, मायावती ने मुख्यमंत्री रहते हुए इस संबंध में एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था। हालांकि, समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था, जिसके चलते इसे अमल में नहीं लाया जा सका। अब, चंद्रशेखर आजाद ने इस मुद्दे को फिर से उठाया है, जो राजनीति में एक नया मोड़ लाने की संभावना रखता है।


चंद्रशेखर की मांग पर प्रतिक्रिया

चंद्रशेखर आजाद ने उत्तर प्रदेश के विभाजन की मांग करते हुए कहा, "यह प्रदेश का बंटवारा नहीं बल्कि इससे विकास के नए अवसर पैदा होंगे। उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा राज्य है, इसे एक राष्ट्र कहा जा सकता है। यहां की 25 करोड़ से अधिक आबादी को विकास का पूरा लाभ मिलना चाहिए। बाबा साहेब अंबेडकर ने भी छोटे राज्यों की वकालत की थी, ताकि राज्य का विकास तेजी से हो सके और लोगों को रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त हो सकें।"

सांसद चंद्रशेखर ने यह भी बताया कि राज्य के कई हिस्सों में विकास की गति धीमी है और सरकारी योजनाओं का लाभ हर जगह नहीं पहुंच पा रहा है। उन्होंने उदाहरण दिया कि उनके क्षेत्र के लोगों को हाई कोर्ट के लिए 500 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। उनका मानना है कि छोटे राज्यों में प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था अधिक प्रभावी हो सकती है, जिससे जनता को बेहतर सेवाएं मिल सकती हैं।

बीजेपी और सपा का विरोध

हालांकि, चंद्रशेखर की इस मांग का बीजेपी और समाजवादी पार्टी ने विरोध किया है। इन दलों का मानना है कि उत्तर प्रदेश का विभाजन प्रदेश की एकता को कमजोर कर सकता है। लेकिन चंद्रशेखर का कहना है कि वह केवल जनता की भलाई के लिए काम कर रहे हैं और अन्य दलों की राय से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने जोर देकर कहा कि उत्तर प्रदेश के विभाजन से राज्य के विकास को गति मिलेगी और जनता को बेहतर जीवनस्तर प्राप्त होगा।

मायावती के प्लान को आगे बढ़ाने का प्रयास

चंद्रशेखर आजाद के इस प्रस्ताव को मायावती के 2011 में उठाए गए मुद्दे के संदर्भ में देखा जा रहा है। मायावती ने उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों—हरित प्रदेश, अवध प्रदेश, बुंदेलखंड, और पूर्वांचल—में बांटने का प्रस्ताव रखा था। इस विभाजन से राज्य के विभिन्न हिस्सों में विकास की समानता लाई जा सकती थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को अमल में नहीं लाया। अब, चंद्रशेखर ने इस मुद्दे को फिर से उठाया है, और इसे मायावती के प्लान को आगे बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।


अलग राज्य की मांग के राजनीतिक लाभ

भारत में पहले भी अलग राज्य की मांगें उठ चुकी हैं, जिनमें से कुछ को सफलता भी मिली है। तेलंगाना राष्ट्र समिति (अब भारत राष्ट्र समिति) और झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसी पार्टियां अलग राज्यों की मांग के कारण ही सत्ता के शीर्ष पर पहुंची हैं। चंद्रशेखर आजाद भी इसी प्रकार का राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास कर सकते हैं। उनका उद्देश्य अपनी पार्टी को सत्ता के केंद्र में लाना हो सकता है, ताकि वह उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक प्रमुख भूमिका निभा सकें।

चंद्रशेखर आजाद ने उत्तर प्रदेश के विभाजन का मुद्दा उठाकर राज्य के विकास की दिशा में एक नई बहस छेड़ दी है। उनके अनुसार, छोटे राज्यों में प्रशासन और विकास कार्यों की गति तेज होती है, जिससे जनता को अधिक लाभ मिलता है। हालांकि, इस मांग का विरोध भी हो रहा है, लेकिन चंद्रशेखर अपने विचारों पर अडिग हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के विभाजन से राज्य के विकास को गति मिलेगी और जनता को बेहतर जीवनस्तर प्राप्त होगा। उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह मुद्दा आने वाले समय में और अधिक गर्म हो सकता है, और इसे लेकर राजनीतिक दलों के बीच विवाद भी हो सकता है।

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