विश्व के सबसे ऊँचे अशोक स्तंभ का निर्माण शुरू, पत्थर में तराशी गई विरासत!
भारत में 105 फीट ऊँचे दुनिया के सबसे विशाल अशोक स्तंभ का निर्माण लक्ष्मीपुर नगला, कन्नौज में किया जा रहा है। यह ऐतिहासिक स्तंभ मिर्जापुर के चुनार पत्थर से तैयार किया जाएगा और इसका कार्य तथागत बुद्ध विहार समाज अशोक चैरिटेबल ट्रस्ट की देखरेख में हो रहा है। आठ महीने में पूरा होने वाले इस भव्य स्तंभ के लिए 65 टन पत्थर का उपयोग किया जा रहा है। इसकी 10x10x10 फीट की मजबूत नींव बनाई जा रही है। पॉलिश और लेजर कटिंग तकनीक से इसे और आकर्षक बनाया जाएगा, जिससे यह भारत की संस्कृति और विरासत का एक महत्वपूर्ण प्रतीक बनेगा।

INDC Network : कन्नौज, उत्तर प्रदेश : भारत में 105 फीट ऊँचे दुनिया के सबसे विशाल अशोक स्तंभ का निर्माण लक्ष्मीपुर नगला, कन्नौज में किया जा रहा है। यह ऐतिहासिक स्तंभ मिर्जापुर के चुनार पत्थर से तैयार किया जाएगा और इसका कार्य तथागत बुद्ध विहार समाज अशोक चैरिटेबल ट्रस्ट की देखरेख में हो रहा है। आठ महीने में पूरा होने वाले इस भव्य स्तंभ के लिए 65 टन पत्थर का उपयोग किया जा रहा है। इसकी 10x10x10 फीट की मजबूत नींव बनाई जा रही है। पॉलिश और लेजर कटिंग तकनीक से इसे और आकर्षक बनाया जाएगा, जिससे यह भारत की संस्कृति और विरासत का एक महत्वपूर्ण प्रतीक बनेगा।
भारत का सबसे ऊँचा अशोक स्तंभ – एक ऐतिहासिक पहल
भारत जल्द ही इतिहास रचने जा रहा है, जहाँ 105 फीट ऊँचा अशोक स्तंभ निर्मित किया जाएगा। इसे लक्ष्मीपुर नगला, कन्नौज में स्थापित किया जाएगा, जिसका निर्माण तथागत बुद्ध विहार समाज अशोक चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा कराया जा रहा है। यह स्तंभ पूरी तरह से मिर्जापुर के चुनार पत्थर से बनाया जा रहा है, जो इसे मजबूती और प्रामाणिकता प्रदान करेगा।
मिर्जापुर में निर्माण कार्य शुरू – इंजीनियरिंग प्रक्रिया
इस स्तंभ के निर्माण का पहला चरण मिर्जापुर में शुरू हो चुका है, जहाँ कारीगर बड़े पत्थरों को तराशने और डिजाइन देने में जुटे हैं। पूरा स्तंभ आठ महीनों में तैयार होने की संभावना है।
निर्माण से जुड़ी प्रमुख जानकारियाँ:
पहलू | विवरण |
---|---|
ऊँचाई | 105 फीट |
सामग्री | चुनार पत्थर (मिर्जापुर) |
नींव का आकार | 10x10x10 फीट |
कुल वजन | 65 टन |
समाप्ति का समय | 8 महीने |
खुदाई का आकार | 20x20x20 फीट |
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
अशोक स्तंभ भारत की राष्ट्रीय धरोहर का प्रतीक है और सम्राट अशोक की बौद्ध धर्म के प्रति निष्ठा को दर्शाता है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करना और इसे एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना है।
मुख्य सांस्कृतिक विशेषताएँ:
- सम्राट अशोक के मूल शिलालेखों से प्रेरित
- शांति और एकता का प्रतीक
- धार्मिक पर्यटन के लिए एक प्रमुख आकर्षण
भूमि पूजन: पाँच धर्मगुरुओं की उपस्थिति
इस भव्य स्तंभ के निर्माण की आधारशिला 27 जनवरी को रखी गई थी। इस अवसर पर विभिन्न धर्मों के पाँच प्रमुख धर्मगुरु उपस्थित रहे। दक्षिण कोरिया के गुरु फोनगान सुनीम सहित अन्य धार्मिक नेताओं ने विशेष अनुष्ठान कर स्तंभ की सफलता और धार्मिक महत्व की पुष्टि की।
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