फर्रुखाबाद में शाक्य,कुशवाहा,सैनी,मौर्य मिलन समारोह धूमधाम से मनाया गया
बिहार के बोधगया और उत्तर प्रदेश के संकिसा स्थित बौद्ध धर्मस्थलों को मुक्त कराने की मांग उठी। फर्रुखाबाद में आयोजित शाक्य कुशवाहा मौर्य सैनी समाज के सम्मेलन में पूर्व मंत्री टी प्रसाद आईएएस ने समाज को एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया। उन्होंने शिक्षा, सत्ता और आर्थिक सशक्तिकरण को समाज की प्रगति के लिए अनिवार्य बताया। इस दौरान उन्होंने सजातीय दलों की स्थिति पर भी चिंता जाहिर की और नई राष्ट्रीय पार्टी बनाने का सुझाव दिया।

INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : फर्रुखाबाद में शाक्य,कुशवाहा,सैनी,मौर्य मिलन समारोह धूमधाम से मनाया गया
पूर्व मंत्री टी प्रसाद का बड़ा बयान
फर्रुखाबाद में आयोजित शाक्य कुशवाहा मौर्य सैनी समाज के सम्मेलन में पूर्व मंत्री टी प्रसाद ने बौद्ध धर्मस्थलों को मुक्त कराने के लिए सजातीय समाज को एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बोधगया और संकिसा जैसे ऐतिहासिक स्थलों को पुनः उनके वास्तविक स्वरूप में लाने की जरूरत है।
पूर्व मंत्री टी प्रसाद का बयान:
"अगर सजातीय समाज एकजुट होकर 25 सांसद लोकसभा में भेजे, तो क्या वे बोधगया और संकिसा को मुक्त नहीं करा सकते?"
उन्होंने कहा कि समाज को शिक्षा, सत्ता और आर्थिक मजबूती के तीन स्तंभों पर आगे बढ़ना होगा, तभी वह सशक्त बन सकता है।
संगठन की मजबूती और राजनीतिक चेतना की जरूरत
टी प्रसाद ने अपने प्रशासनिक करियर को याद करते हुए बताया कि वे 1989 में एसडीएम के रूप में कायमगंज, कन्नौज और छिबरामऊ में तैनात रहे और बाद में आईएएस पद पर पदोन्नत हुए। उन्होंने कहा कि नौकरी में व्यस्त रहने के बावजूद उन्होंने समाज के विकास के लिए काम किया।
उन्होंने कहा कि समाज के लोगों को व्यवसाय और प्रशिक्षण पर ध्यान देना चाहिए ताकि वे आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें।
महत्वपूर्ण बिंदु:
✔ समाज की मजबूती के लिए सत्ता, शिक्षा और संपन्नता जरूरी
✔ सजातीय लोगों को व्यापार और शिक्षा में आगे बढ़ना चाहिए
✔ सजातीय दलों की गिरती स्थिति पर चिंता, नई राष्ट्रीय पार्टी बनाने का सुझाव
सम्मेलन में प्रमुख मुद्दे और सुझाव
नगर के ठंडी सड़क स्थित नवभारत सभा भवन में आयोजित इस सम्मेलन की शुरुआत बुद्ध वंदना से हुई। कथावाचक भागीरथ बौद्ध ने उपस्थित जनसमूह को तथागत के भजन सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया।
सपा नेता डॉ. नवल किशोर शाक्य की पत्नी प्रियंका शाक्य ने बोधगया आंदोलन में भाग लेने की अपील की। उन्होंने चुनाव में बेईमानी का आरोप लगाते हुए कहा कि इसी कारण समाज को आगे बढ़ने से रोका जा रहा है।
सम्मेलन में उठे मुख्य मुद्दे:
मुद्दा | वक्ताओं की राय |
---|---|
बोधगया और संकिसा की मुक्ति | समाज को संगठित होकर संघर्ष करना होगा |
शिक्षा और व्यवसाय | युवाओं को प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाया जाए |
सत्ता में भागीदारी | समाज को राजनीतिक रूप से सशक्त होना होगा |
सजातीय दलों की स्थिति | राष्ट्रीय स्तर पर नई पार्टी बनाने की जरूरत |
बौद्ध संस्कृति का संरक्षण | बुद्ध विहारों का निर्माण और प्रचार आवश्यक |
बुद्ध संस्कृति और सामाजिक संगठन पर बल
भंते नाग सेन ने समाज में फैली कुरीतियों का बहिष्कार करने और संगठन को मजबूत करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को बच्चों को शिक्षित करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। धर्मपाल बौद्ध ने सजातीय समाज को भ्रमित न होने का आग्रह किया और एकजुट रहने की अपील की।
कार्यक्रम में समाज के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपने विचार रखे। प्रमुख वक्ताओं में गिरजा शंकर शाक्य, अनंगपाल सिंह कुशवाहा, नरेंद्र शाक्य, विमलेश शाक्य, शेर सिंह शाक्य, राधेश्याम शाक्य, अवनीश शाक्य, जितेंद्र सिंह शाक्य एडवोकेट, महेश चंद्र शाक्य आदि शामिल रहे।
सम्मेलन में विशेष सम्मान
सम्मेलन में समाज के वरिष्ठ संरक्षकों को पंचशील पट्टिकाएं पहनाकर सम्मानित किया गया। बुद्ध विहार निर्माण में योगदान देने वालों को प्रशस्ति पत्र और सम्राट अशोक की प्रतिमा भेंट कर सम्मानित किया गया।
धम्मा लोकों बुद्ध विहार ट्रस्ट के अध्यक्ष कर्मवीर शाक्य ने कहा,
"लोग मुझे मरने के बाद याद करेंगे, लेकिन समाज के लिए किए गए कार्य अमर रहेंगे।"
सम्मेलन के अंत में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए।
फर्रुखाबाद में आयोजित इस सम्मेलन में बौद्ध संस्कृति के संरक्षण और राजनीतिक चेतना को लेकर कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। बोधगया और संकिसा को मुक्त कराने की मांग इस आयोजन का मुख्य केंद्र रही। पूर्व मंत्री टी प्रसाद ने समाज को संगठित होकर संघर्ष करने और सत्ता, शिक्षा और संपन्नता को अपनाने का संदेश दिया। इस आयोजन ने समाज को एक नई दिशा देने का प्रयास किया।
फर्रुखाबाद में शाक्य कुशवाहा मौर्य सैनी समाज का एक भव्य सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष नीरज प्रताप शाक्य ने मंच से महाबोधि महाविहार को मुक्त करने की अपील की। कार्यक्रम में महंगाई, बेरोजगारी और समाज की राजनीतिक भागीदारी को लेकर गहन चर्चा हुई। इस दौरान पुस्तकालय प्रभारी ने बताया कि 700 पुस्तकें दान से प्राप्त हुई हैं, जो किसी को भी लेने और दान करने के लिए उपलब्ध हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम में अवनीश शाक्य ने संगठन की एकता पर गीत प्रस्तुत किया, जबकि भंते नागसेन ने बौद्ध धर्मगुरुओं को पर्याप्त समय न दिए जाने पर चिंता जताई।
सम्मेलन में उठे प्रमुख मुद्दे
महाबोधि महाविहार को मुक्त कराने की अपील
आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष नीरज प्रताप शाक्य ने सरकार से मंच के माध्यम से महाबोधि महाविहार को मुक्त कराने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह स्थल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे स्वतंत्र किया जाना चाहिए।
महंगाई और बेरोजगारी पर गहरी चिंता
सम्मेलन में महंगाई और बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर भी चर्चा हुई। वक्ताओं ने सरकार से मांग की कि रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं और समाज के लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त किया जाए।
राजनीतिक भागीदारी पर जोर
नीरज प्रताप शाक्य ने कहा कि समाज को मजबूत करने के लिए राजनीति में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी होनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि समाज के नेताओं की संख्या बढ़ाई जाए, जिससे समस्याओं का समाधान राजनीतिक स्तर पर पहले ही हो सके और कोई कठिनाई समाज पर हावी न हो।
पुस्तकालय में 700 नई पुस्तकें दान में प्राप्त
पुस्तकालय प्रभारी ने जानकारी दी कि 700 पुस्तकें दान से प्राप्त हुई हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति इन पुस्तकों को दान कर सकता है और कोई भी जरूरतमंद इन्हें ले सकता है। पुस्तकालय में धार्मिक, शैक्षिक और विभिन्न विषयों से संबंधित पुस्तकें उपलब्ध हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में एकता का संदेश
अवनीश शाक्य, जो सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रभारी थे, ने एक प्रेरणादायक गीत प्रस्तुत किया:
"जब संगठन साथ है तो डरने की क्या बात है"
इस गीत ने उपस्थित लोगों में जोश भर दिया और संगठन की एकता को मजबूत करने का संदेश दिया।
भंते नागसेन की टिप्पणी
भंते नागसेन ने सम्मेलन में बौद्ध धर्मगुरुओं को पर्याप्त समय न दिए जाने पर असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि संगीत और अन्य कार्यक्रमों के लिए समय दिया गया, लेकिन बौद्ध धर्म के संदेशों को उतना महत्व नहीं दिया गया। उन्होंने तथागत संभ्रांत नागरिक सामाजिक संगठन की सराहना भी की और समाज को एकजुट रहने का संदेश दिया।
सम्मेलन में उठाए गए अन्य प्रमुख मुद्दे:
मुद्दा | वक्तव्य |
---|---|
महाबोधि महाविहार मुक्ति | सरकार से अपील की गई कि महाबोधि महाविहार को बौद्ध अनुयायियों को सौंपा जाए। |
महंगाई और बेरोजगारी | युवाओं को प्रशिक्षित कर स्वरोजगार की ओर बढ़ने का सुझाव दिया गया। |
राजनीतिक भागीदारी | समाज के नेताओं की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया गया। |
पुस्तकालय में 700 पुस्तकें दान | किसी भी व्यक्ति के लिए पुस्तकें उपलब्ध हैं। |
सांस्कृतिक कार्यक्रम | संगठन की एकता पर गीत प्रस्तुत किया गया। |
बौद्ध धर्म का प्रचार | धर्मगुरुओं को समय न दिए जाने पर चिंता जताई गई। |
यह सम्मेलन समाज की एकता और सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। महाबोधि महाविहार की मुक्ति, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चर्चा के साथ-साथ राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने पर भी जोर दिया गया। पुस्तकालय की स्थापना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने समाज में शिक्षा और एकता को बढ़ावा देने में योगदान दिया।
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