आईआईटी इंजीनियर से संत बने अभय सिंह: वैराग्य की राह पर अनोखी कहानी
आईआईटी मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने के बाद, हरियाणा के अभय सिंह ने संत का जीवन चुना। गहरी डिप्रेशन से गुजरने के बाद, उन्होंने विज्ञान और भौतिक सुखों को छोड़कर आध्यात्मिक यात्रा का रास्ता अपनाया। महाकुंभ में अपने साधु वेश और प्रेरक दृष्टिकोण से, उन्होंने आध्यात्मिकता की अनोखी मिसाल कायम की।

INDC Network : प्रयागराज, उत्तर प्रदेश : आईआईटी इंजीनियर से संत बने अभय सिंह: वैराग्य की राह पर अनोखी कहानी
अभय सिंह: आईआईटी इंजीनियर से संत तक का सफर
आईआईटी मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद, अभय सिंह ने विज्ञान की दुनिया में कदम नहीं रखा। इसके बजाय, उन्होंने साधु जीवन का चुनाव किया। हरियाणा के हिसार से आने वाले अभय सिंह ने बताया कि कैसे डिप्रेशन ने उनकी जिंदगी का रुख बदल दिया और उन्हें मोक्ष के मार्ग पर ले आया।

गहरी डिप्रेशन से प्रेरणा का स्रोत
अभय सिंह ने यूपी Tak से बातचीत में कहा,
"आईआईटी के दौरान मैं बहुत खतरनाक डिप्रेशन में था। मानसिक स्वास्थ्य के सवाल मुझे परेशान करते थे।"
उन्होंने साइकोलॉजी, जे कृष्णमूर्ति और इस्कॉन का सहारा लिया, जिससे उनके जीवन में बदलाव आया।
चुनौतियां | अभय सिंह की प्रतिक्रिया |
---|---|
डिप्रेशन | साइकोलॉजी और अध्यात्म पढ़ाई |
परिवार का विरोध | फोटोग्राफी और वैराग्य की ओर झुकाव |
समाज की निंदा | साधु जीवन को अपनाया |
आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत
अभय सिंह को काशी में जूना अखाड़े के एक संत से मिलने का अवसर मिला, जिन्होंने उन्हें कुंभ मेले तक पहुंचाया। यहां उन्होंने विभिन्न साधु-संतों से प्रेरणा ली। अभय कहते हैं,
"मैं कहीं भी अटकना नहीं चाहता। मेरी यात्रा पूर्ण स्वतंत्रता की ओर है।"
अभय के गुरु का दृष्टिकोण
गुरु सोमेश्वर पुरी ने बताया,
"अभय को मैंने कई साधुओं से मिलवाया। उनकी साधना गहरी है। आने वाले समय में वे बड़े संत बनेंगे।"
अभय सिंह के विचार
"प्रश्न से ही यात्रा शुरू होती है। मेरी स्प्रिचुअल जर्नी नीचे नहीं, ऊपर गई है।"
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