प्रणब मुखर्जी की जीवनी : भारतीय राजनीति के महान रणनीतिकार और राष्ट्रपति (2012-2017) का जीवन और योगदान

प्रणब मुखर्जी, एक अनुभवी राजनीतिज्ञ और भारतीय राजनीति के प्रमुख स्तंभों में से एक, 2012 से 2017 तक भारत के राष्ट्रपति रहे। उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत से लेकर राष्ट्रपति पद तक का सफर उनके बुद्धिमान निर्णय, कूटनीति और देश सेवा के लिए समर्पण का प्रमाण है। उनके नेतृत्व ने कई सरकारों को स्थिरता प्रदान की, और उनके कार्यकाल में उन्होंने भारतीय संविधान और लोकतंत्र की मर्यादा बनाए रखी। इस लेख में उनके प्रारंभिक जीवन, राजनीतिक यात्रा, और राष्ट्रपति के रूप में उनकी प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया है।

Oct 13, 2024 - 12:40
Oct 13, 2024 - 14:10
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प्रणब मुखर्जी की जीवनी : भारतीय राजनीति के महान रणनीतिकार और राष्ट्रपति (2012-2017) का जीवन और योगदान

INDC Network : जीवनी : प्रणब मुखर्जी: भारतीय राजनीति के महान रणनीतिकार और राष्ट्रपति (2012-2017) का जीवन और योगदान

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा :प्रणब कुमार मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मिराटी गाँव में हुआ था। उनके पिता, कामदा किंकर मुखर्जी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी थे और कांग्रेस पार्टी के सक्रिय सदस्य थे। उनकी माँ, राजलक्ष्मी मुखर्जी, एक धार्मिक और सामाजिक रूप से सक्रिय महिला थीं। उनके परिवार में स्वतंत्रता संग्राम और राजनीतिक गतिविधियों का गहरा प्रभाव था, जिसने प्रणब मुखर्जी के राजनीतिक जीवन की नींव रखी।

प्रणब मुखर्जी की प्रारंभिक शिक्षा पश्चिम बंगाल के स्थानीय विद्यालयों में हुई। इसके बाद उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके साथ ही, उन्होंने कानून में भी स्नातक किया, जिसने उन्हें राजनीति और प्रशासन के क्षेत्र में गहरी समझ और नेतृत्व कौशल विकसित करने में मदद की।

शिक्षा के प्रति उनकी लगन और अपने विचारों की स्पष्टता ने उन्हें छात्र जीवन से ही एक प्रभावी वक्ता और नेता के रूप में पहचान दिलाई। उनकी राजनीतिक और शैक्षणिक यात्रा का यह प्रारंभिक चरण ही उनके भविष्य के सार्वजनिक जीवन का आधार बना।


राजनीतिक जीवन की शुरुआत : प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक करियर 1969 में शुरू हुआ, जब उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामांकित किया गया। उनके उत्कृष्ट नेतृत्व और राजनीतिक कौशल के कारण जल्द ही वे पार्टी के भीतर एक महत्वपूर्ण नेता बन गए। इंदिरा गांधी की सरकार में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1973 में उन्हें औद्योगिक विकास मंत्री बनाया गया।

उनका राजनीतिक करियर तब और मजबूत हुआ जब 1980 में वे भारत के वित्त मंत्री बने। प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल वित्त मंत्री के रूप में भारतीय अर्थव्यवस्था के सुधार और नीतिगत ढांचे को नया स्वरूप देने के लिए जाना जाता है। उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के साथ मिलकर देश की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए।


वित्त मंत्री के रूप में योगदान : 1982 में, प्रणब मुखर्जी को भारत के वित्त मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। उनके कार्यकाल के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था में कई महत्वपूर्ण सुधार हुए। उन्होंने वित्तीय नीतियों को मजबूत किया और देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। 1982 से 1984 तक उनके वित्त मंत्री के कार्यकाल के दौरान, भारत ने आर्थिक विकास के कई महत्वपूर्ण चरणों को पार किया।

उनकी सबसे प्रमुख उपलब्धियों में से एक भारत का बजट तैयार करना था, जो उन्होंने कुल सात बार प्रस्तुत किया। वे एक कुशल वित्त मंत्री माने जाते थे, जिनके निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने और वित्तीय अनुशासन को लागू करने में मददगार साबित हुए। उन्होंने देश की कर नीतियों में भी सुधार किया, जिससे करदाताओं को लाभ हुआ और सरकार को अधिक राजस्व मिला।


विदेश मंत्री के रूप में भूमिका : प्रणब मुखर्जी ने विदेश मंत्री के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 1995 से 1996 तक इस पद पर रहे और फिर 2006 से 2009 तक इस पद को संभाला। उनके विदेश मंत्री के कार्यकाल के दौरान, उन्होंने भारत की विदेश नीति को मजबूती से लागू किया और अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश की स्थिति को मजबूत किया।

उनके कार्यकाल में भारत ने कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समझौतों और सहयोगों पर हस्ताक्षर किए, जिनसे देश की वैश्विक स्थिति मजबूत हुई। उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच नागरिक परमाणु समझौते को अंतिम रूप देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।


रक्षा मंत्री के रूप में कार्यकाल : प्रणब मुखर्जी ने भारत के रक्षा मंत्री के रूप में भी सेवा की। 2004 से 2006 तक वे इस महत्वपूर्ण पद पर रहे। उनके कार्यकाल के दौरान भारतीय सेना का आधुनिकीकरण हुआ और देश की रक्षा तैयारियों को मजबूती मिली।

उन्होंने रक्षा बजट को सही दिशा में लागू किया और यह सुनिश्चित किया कि भारतीय सेना आधुनिक तकनीकों और हथियारों से सुसज्जित हो। प्रणब मुखर्जी ने रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा दिया, जिससे भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिली।


राष्ट्रपति बनने का सफर : प्रणब मुखर्जी के राजनीतिक जीवन का चरमोत्कर्ष तब आया जब वे 2012 में भारत के 13वें राष्ट्रपति बने। 25 जुलाई 2012 को उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल भारतीय राजनीति और संविधान की मर्यादा को बनाए रखने का प्रतीक बना।

राष्ट्रपति बनने से पहले प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस पार्टी और भारतीय राजनीति में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था। वे एक कुशल प्रशासक और अनुभवी नेता माने जाते थे, जिन्होंने हर कठिन परिस्थिति में संयम और समझदारी से काम लिया। उनके अनुभव और ज्ञान ने उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए एक आदर्श उम्मीदवार बना दिया था।


राष्ट्रपति कार्यकाल (2012-2017) : प्रणब मुखर्जी का राष्ट्रपति कार्यकाल भारतीय राजनीति के महत्वपूर्ण दौरों में से एक रहा। उनके कार्यकाल के दौरान देश में कई संवैधानिक और राजनीतिक घटनाएँ घटीं, जिनमें केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल बनाए रखने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान करने के कई उदाहरण शामिल हैं।

उन्होंने राष्ट्रपति पद की गरिमा बनाए रखी और संविधान की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहे। राष्ट्रपति भवन में उनके कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक घटनाएँ हुईं, जिनमें लोकसभा और राज्यसभा के विभिन्न सत्रों का संचालन, नई सरकारों का गठन, और कई संवैधानिक मुद्दों का समाधान शामिल हैं।

प्रणब मुखर्जी ने हमेशा संविधान के अनुसार कार्य किया और किसी भी संवैधानिक विवाद में निष्पक्षता बनाए रखी। उनके कार्यकाल के दौरान भारत ने कई आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने हर बार संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की।


संवैधानिक मूल्यों की रक्षा : राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी ने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि संविधान का पालन हो और सरकारें संवैधानिक दायरे में रहकर काम करें। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों पर निर्णय लिए, जिनमें से कई निर्णय भारतीय लोकतंत्र के लिए मील का पत्थर साबित हुए।

उन्होंने कई बार यह कहा कि लोकतंत्र की शक्ति संविधान और कानून में निहित होती है, और सरकारें इसे कमजोर नहीं कर सकतीं। उनके कार्यकाल के दौरान देश में संविधान के प्रति उनकी निष्ठा और सम्मान का अद्वितीय उदाहरण देखा गया।


सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान : प्रणब मुखर्जी न केवल एक राजनीतिक नेता थे, बल्कि एक सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी वे एक गहन विचारक थे। उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा, कला, और संस्कृति को महत्व दिया। राष्ट्रपति भवन में उन्होंने कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों और चर्चाओं का आयोजन किया, जिनमें भारत की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित किया गया।

उनके कार्यकाल में राष्ट्रपति भवन में “प्रणब मुखर्जी लिटरेरी एंड कल्चरल इनिशिएटिव” की शुरुआत हुई, जिसका उद्देश्य देश की साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और बढ़ावा देना था। उन्होंने शिक्षा और शोध को भी बढ़ावा दिया और देश के शैक्षणिक संस्थानों के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।


पुरस्कार और सम्मान : प्रणब मुखर्जी को उनके जीवन में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए। 2019 में, उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न, प्रदान किया गया। यह सम्मान उनके जीवनभर के योगदान और भारतीय राजनीति में उनके अद्वितीय नेतृत्व के लिए दिया गया। इसके साथ ही, उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और संस्थानों से भी पुरस्कार और मान्यताएँ मिलीं।


निधन और विरासत : 31 अगस्त 2020 को प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया। उनका निधन भारतीय राजनीति और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति थी। उनके निधन के बाद

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Sangam Shakya Hello! My Name is Sangam Shakya from Farrukhabad (Uttar Pradesh), India. I am 18 years old. I have been working for INDC Network news company for the last one year. My position in INDC Network company is Managing Editor