राम नाथ कोविंद की जीवनी : भारतीय राजनीति के पहले राष्ट्रपति जो एक साधारण परिवार से उठे (2017-2022)
राम नाथ कोविंद, भारत के 14वें राष्ट्रपति, ने 2017 से 2022 तक देश की सेवा की। एक साधारण परिवार से आने वाले कोविंद ने अपनी शिक्षा और संघर्ष के माध्यम से भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया। भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में, उन्होंने राजनीति में अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिसमें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल का पद शामिल है। उनके राष्ट्रपति पद का कार्यकाल कई संवैधानिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को लेकर महत्वपूर्ण रहा। इस लेख में उनके जीवन, राजनीतिक यात्रा, और राष्ट्रपति के रूप में उनकी उपलब्धियों पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई है।

INDC Network : जीवनी : राम नाथ कोविंद: भारतीय राजनीति के पहले राष्ट्रपति जो एक साधारण परिवार से उठे (2017-2022)
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा : राम नाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपूर देहात जिले के परौख गाँव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। उनके पिता, महावीर कोविंद, एक किसान थे, और माँ, कमलेश कोविंद, एक गृहिणी थीं। राम नाथ कोविंद का परिवार आर्थिक रूप से बहुत संपन्न नहीं था, लेकिन शिक्षा और मेहनत पर जोर देने वाले मूल्यों के कारण उन्हें एक सशक्त भविष्य की उम्मीद थी।
कोविंद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव के सरकारी स्कूल से प्राप्त की और बाद में कानपूर विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली कॉलेज ऑफ लॉ से कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। शिक्षा के प्रति उनकी लगन और मेहनत ने उन्हें एक सक्षम वकील बनने की दिशा में अग्रसर किया।
वकालत का करियर : राम नाथ कोविंद ने कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1971 में वकालत शुरू की। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में कार्य किया। अपने पेशेवर करियर के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में भाग लिया और अपनी कानूनी क्षमताओं का लोहा मनवाया।
उनका वकील के रूप में कार्यकाल न्यायिक प्रणाली की समझ और न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। वकालत के क्षेत्र में उनके कार्य ने उन्हें समाज में एक सम्मानित स्थान दिलाया और उनके लिए राजनीति में प्रवेश के रास्ते खोले।
राजनीतिक करियर की शुरुआत : राम नाथ कोविंद ने भारतीय राजनीति में कदम रखा जब वे 1991 में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) में शामिल हुए। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत उसी वर्ष हुई जब उन्होंने उत्तर प्रदेश के विधान सभा के लिए चुनाव लड़ा। वे 1997 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने और भाजपा के प्रवक्ता के रूप में काम किया।
भा.ज.पा. में उनकी सक्रियता और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें पार्टी के भीतर महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। उन्होंने पार्टी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया और विभिन्न राजनीतिक मुद्दों पर पार्टी का दृष्टिकोण स्पष्ट किया।
राज्यसभा का सदस्य : राम नाथ कोविंद को 1994 में भारतीय संसद के उच्च सदन, राज्यसभा, का सदस्य बनाया गया। राज्यसभा में उन्होंने सामाजिक न्याय, शिक्षा, और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर जोर दिया। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण विधेयकों का समर्थन किया, जिनका उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा करना था।
राज्यसभा में अपने कार्यकाल के दौरान, वे संविधान की रक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए हमेशा तत्पर रहे। उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि संसद में चर्चा और निर्णय संविधान के अनुसार हों। उनकी निष्पक्षता और कुशलता ने उन्हें एक प्रभावशाली सदस्य बनाया।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल : राम नाथ कोविंद को 2015 में उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया। राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल में, उन्होंने राज्य के विकास और सामाजिक समरसता के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया और राज्य में विकास के लिए कई योजनाओं का समर्थन किया।
राज्यपाल के रूप में, उन्होंने राज्य की कानून व्यवस्था को बनाए रखने और समाज में शांति सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न पहल की। उन्होंने विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर काम किया और राज्य के विकास में अपनी भूमिका निभाई।
राष्ट्रपति बनने का सफर : राम नाथ कोविंद को 2017 में भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। यह उनकी राजनीतिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। 25 जुलाई 2017 को उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल में उन्होंने संविधान की रक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए।
राष्ट्रपति बनने से पहले, कोविंद ने अपने सार्वजनिक जीवन में हमेशा न्याय और समर्पण का परिचय दिया। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि राष्ट्रपति भवन में संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन किया जाए और सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जाए।
राष्ट्रपति कार्यकाल (2017-2022) : राम नाथ कोविंद का राष्ट्रपति कार्यकाल कई संवैधानिक और सामाजिक पहलुओं को लेकर महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया और देश की जनता के साथ जुड़ाव को बढ़ावा दिया। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें कृषि, शिक्षा, और स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे शामिल थे।
राष्ट्रपति के रूप में, उन्होंने कई महत्वपूर्ण समारोहों में भाग लिया और विभिन्न राज्यों के दौरे किए। उन्होंने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया। उनके कार्यकाल में राष्ट्रपति भवन ने कला, साहित्य, और संगीत को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया।
संवैधानिक मूल्यों की रक्षा : राम नाथ कोविंद ने राष्ट्रपति के रूप में संविधान की रक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए हमेशा तत्पर रहे। उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि सरकारें संविधान के अनुसार काम करें और नागरिकों के अधिकारों का सम्मान किया जाए।
उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई संवैधानिक मुद्दों पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए और देश की एकता और अखंडता के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहे। उनके नेतृत्व में, भारत ने कई महत्वपूर्ण संवैधानिक सुधारों को लागू किया, जिनका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को सशक्त बनाना था।
शिक्षा और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान : राष्ट्रपति के रूप में, राम नाथ कोविंद ने शिक्षा और सामाजिक मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने देश में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए कई पहल कीं। उन्होंने विशेष रूप से गरीब और पिछड़े वर्गों के बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं का समर्थन किया।
उनकी सोच थी कि शिक्षा ही विकास का आधार है, और इसलिए उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। इसके साथ ही, उन्होंने महिला सशक्तिकरण और बाल कल्याण के मुद्दों पर भी जोर दिया और इसके लिए कई योजनाओं का समर्थन किया।
संस्कृति और विरासत को बढ़ावा : राम नाथ कोविंद ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान भारतीय संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया। उन्होंने भारतीय लोक कलाओं, संगीत, और साहित्य को सम्मानित किया और देश के विविध सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए कई पहलों का समर्थन किया।
राष्ट्रपति भवन में उन्होंने कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया, जिनमें विभिन्न राज्यों के कलाकारों और सांस्कृतिक संगठनों को मंच दिया गया। उनके प्रयासों से राष्ट्रपति भवन एक सांस्कृतिक केंद्र बन गया, जहाँ भारतीय कला और संस्कृति का प्रदर्शन हुआ।
महिला सशक्तिकरण के लिए पहल : राम नाथ कोविंद ने अपने कार्यकाल के दौरान महिला सशक्तिकरण के लिए कई महत्वपूर्ण पहल कीं। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कई योजनाओं का समर्थन किया और उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कदम उठाए।
उन्होंने विभिन्न महिला संगठनों के साथ मिलकर काम किया और उन्हें समर्थन दिया। उनके प्रयासों से कई कार्यक्रमों और योजनाओं का गठन हुआ, जिनका उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना था। उनका मानना था कि जब महिलाएँ सशक्त होंगी, तभी समाज और देश का विकास संभव होगा।
पर्यावरण और सतत विकास : राम नाथ कोविंद ने पर्यावरण और सतत विकास के मुद्दों पर भी ध्यान दिया। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कई पहलों का समर्थन किया।
उनके कार्यकाल में, उन्होंने जल संरक्षण, वृक्षारोपण, और प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई योजनाओं का प्रचार किया। उनका मानना था कि पर्यावरण की सुरक्षा के बिना विकास संभव नहीं है, और इसलिए उन्होंने सतत विकास के लिए सभी
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