भारत के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी का जीवन, करियर और विरासत (1977-1982) – भारतीय राजनीति का एक युग

नीलम संजीव रेड्डी, भारत के छठे राष्ट्रपति, भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता थे। उन्होंने 1977 से 1982 तक राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभाला। उनकी जीवन यात्रा, उनकी राजनीतिक काबिलियत और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक विशिष्ट स्थान दिलाया। इस लेख में हम उनके बचपन से लेकर राष्ट्रपति पद तक के सफर, उनके विचार, और भारतीय राजनीति में उनके योगदान पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

Oct 13, 2024 - 11:35
Oct 13, 2024 - 14:13
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भारत के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी का जीवन, करियर और विरासत (1977-1982) – भारतीय राजनीति का एक युग

INDC Network : जीवनी : भारत के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी का जीवन, करियर और विरासत (1977-1982) – भारतीय राजनीति का एक युग

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा : नीलम संजीव रेड्डी का जन्म 19 मई 1913 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के इल्लुरु गांव में हुआ था। उनका परिवार एक संपन्न कृषक परिवार था, जो खेती और सामाजिक कार्यों में संलग्न था। रेड्डी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव में ही प्राप्त की, और बाद में उच्च शिक्षा के लिए मद्रास (अब चेन्नई) के प्रतिष्ठित सरकारी कॉलेज में दाखिला लिया।

शिक्षा के दौरान ही रेड्डी के भीतर सामाजिक और राजनीतिक विचारधारा का विकास हुआ। उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और महात्मा गांधी के विचारों से गहरी प्रेरणा मिली। गांधीजी के विचारों ने उन्हें सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया, और यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई।


स्वतंत्रता संग्राम और प्रारंभिक राजनीतिक जीवन : नीलम संजीव रेड्डी का राजनीतिक करियर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय शुरू हुआ। वे कांग्रेस पार्टी के सक्रिय सदस्य बने और स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गए। वे महात्मा गांधी के निकट संपर्क में रहे और उनके विचारों को अपने जीवन का हिस्सा बनाया।

स्वतंत्रता के बाद, रेड्डी ने अपनी सेवाएं आंध्र प्रदेश और देश को समर्पित कीं। उन्होंने भारतीय राजनीति में तेजी से अपना स्थान बनाया और 1952 में आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। यह पद उन्होंने दो बार संभाला, और इस दौरान उन्होंने राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।


भारतीय राजनीति में योगदान : नीलम संजीव रेड्डी का राजनीतिक जीवन कई उच्च पदों पर व्याप्त रहा। वे 1962 में भारतीय संसद के लोकसभा अध्यक्ष बने और इस पद पर रहते हुए भारतीय लोकतंत्र को सशक्त बनाने का काम किया। उनकी ईमानदारी, निष्पक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति निष्ठा ने उन्हें एक आदर्श नेता के रूप में स्थापित किया।

रेड्डी के नेतृत्व में संसद ने कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए, और उन्होंने संसदीय प्रणाली को प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए कई कदम उठाए। वे एक ऐसे नेता थे, जो बिना किसी राजनीतिक पूर्वाग्रह के सदन का संचालन करते थे, और सभी दलों के नेताओं का सम्मान करते थे।


राष्ट्रपति चुनाव और विवाद : नीलम संजीव रेड्डी का 1969 का राष्ट्रपति चुनाव काफी विवादास्पद रहा। कांग्रेस पार्टी में उस समय आंतरिक मतभेद थे, और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में पार्टी के एक धड़े ने वी.वी. गिरि का समर्थन किया। परिणामस्वरूप, रेड्डी को हार का सामना करना पड़ा। यह हार उनके राजनीतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, लेकिन इससे उनका उत्साह कम नहीं हुआ। वे राजनीति में सक्रिय रहे और 1977 में जनता पार्टी के समर्थन से पुनः राष्ट्रपति चुनाव में खड़े हुए।


भारत के छठे राष्ट्रपति (1977-1982) : 1977 में नीलम संजीव रेड्डी ने भारत के छठे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। वे निर्विरोध चुने गए थे, जो भारतीय इतिहास में एक दुर्लभ घटना है। उनके राष्ट्रपति बनने का समय देश के लिए राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण था। इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के बाद जनता पार्टी सत्ता में आई थी, और रेड्डी को एक संतुलित, निष्पक्ष और समझदार राष्ट्रपति के रूप में देखा गया।

राष्ट्रपति के रूप में, रेड्डी ने हमेशा संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की। उन्होंने सरकार और विपक्ष के बीच संतुलन बनाए रखा और देश के सर्वोच्च पद पर रहते हुए भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए काम किया। उनकी अध्यक्षता में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, और उन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षात्कार किया।


नीतिगत निर्णय और योगदान : रेड्डी का कार्यकाल भारतीय राजनीति में स्थिरता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की मजबूती के लिए याद किया जाता है। उन्होंने एक निष्पक्ष और संतुलित दृष्टिकोण से राष्ट्र का नेतृत्व किया। उनके कार्यकाल में कई नीतिगत निर्णय लिए गए, जिनका उद्देश्य देश के आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना था।

उनकी अध्यक्षता में, भारतीय संविधान के प्रावधानों का सख्ती से पालन किया गया। रेड्डी ने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि कोई भी सरकार संविधान की सीमाओं को पार न करे और देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया सही तरीके से चले।


व्यक्तिगत जीवन और सादगी : नीलम संजीव रेड्डी अपने सादगी भरे जीवन के लिए जाने जाते थे। राष्ट्रपति बनने के बावजूद, उन्होंने अपनी निजी और सार्वजनिक जीवन में सादगी और संयम का पालन किया। उनके जीवन का हर पहलू उनकी ईमानदारी, नैतिकता और मूल्यों को प्रतिबिंबित करता था। राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी उन्होंने अपने सादगी भरे जीवन को नहीं छोड़ा।

उनका जीवन लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत था, और वे हमेशा आम जनता के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखते थे। रेड्डी ने अपनी पूरी जिंदगी देश और उसके लोगों की सेवा के लिए समर्पित कर दी।


नीलम संजीव रेड्डी की विरासत : नीलम संजीव रेड्डी की विरासत भारतीय राजनीति और समाज में आज भी जीवित है। उनके नेतृत्व, निष्ठा और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें एक आदर्श नेता के रूप में स्थापित किया। उनके द्वारा किए गए सुधार और उनके सिद्धांत आज भी भारतीय राजनीति में प्रासंगिक हैं।

उनके बाद के राष्ट्रपति और नेता उनके जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेते रहे हैं। उनका जीवन एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे सच्चे लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ राजनीति की जा सकती है।


निधन और स्मृति : नीलम संजीव रेड्डी का निधन 1 जून 1996 को हुआ। उनके निधन से भारतीय राजनीति और समाज में एक युग का अंत हो गया। उनके योगदानों को याद करते हुए, उन्हें हमेशा भारतीय राजनीति के एक महान नेता के रूप में याद किया जाएगा।

उनकी स्मृति में कई संस्थानों और स्थानों का नाम रखा गया है। उनका जीवन और काम भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। वे न केवल एक सफल राष्ट्रपति थे, बल्कि एक ऐसे नेता थे जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत किया और देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।


निष्कर्ष : नीलम संजीव रेड्डी का जीवन और करियर भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज है। उनका सादगी भरा जीवन, निष्ठा और ईमानदारी ने उन्हें एक अद्वितीय नेता बनाया। राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। रेड्डी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चे लोकतांत्रिक मूल्य क्या होते हैं और कैसे एक नेता को अपने देश और लोगों की सेवा में समर्पित होना चाहिए।

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Sangam Shakya Hello! My Name is Sangam Shakya from Farrukhabad (Uttar Pradesh), India. I am 18 years old. I have been working for INDC Network news company for the last one year. My position in INDC Network company is Managing Editor