द्रौपदी मुर्मू की जीवनी : भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति का अद्भुत सफर और उपलब्धियाँ (2022- वर्तमान)
द्रौपदी मुर्मू, भारत की 15वीं राष्ट्रपति, ने 2022 में पदभार ग्रहण किया। वे भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं। उनका राजनीतिक सफर प्रेरणादायक है, जिसमें उन्होंने शिक्षा, सामाजिक न्याय, और आदिवासी अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष किया। ओडिशा की एक साधारण परिवार से आने वाली मुर्मू ने राजनीति में अपने अनुभव और नेतृत्व के बल पर एक नया मानक स्थापित किया है। इस लेख में उनके जीवन, राजनीतिक यात्रा, और राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल की विशेषताओं पर विस्तार से चर्चा की गई है।

INDC Network : जीवनी : द्रौपदी मुर्मू: भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति का अद्भुत सफर और उपलब्धियाँ (2022- वर्तमान)
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा : द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1973 को ओडिशा राज्य के मयूरभंज जिले के एक छोटे से गाँव, ऊरपुंडा में हुआ। उनका परिवार आदिवासी समुदाय से संबंधित था, जो आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर था। उनके पिता, भीष्म मुर्मू, एक स्थानीय किसान थे, जबकि उनकी माँ, माता मुर्मू, एक गृहिणी थीं।
मुर्मू का पालन-पोषण एक ऐसे वातावरण में हुआ जहां शिक्षा को विशेष महत्व दिया जाता था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय विद्यालयों से प्राप्त की और बाद में उड़ीसा विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत की और एक शिक्षक के रूप में काम किया। उनकी शिक्षा ने उन्हें न केवल ज्ञान प्रदान किया, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने में भी मदद की।
राजनीतिक यात्रा की शुरुआत : द्रौपदी मुर्मू की राजनीतिक यात्रा 1997 में शुरू हुई जब वे भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) में शामिल हुईं। उनका प्रारंभिक कार्यकाल स्थानीय स्तर पर सक्रियता के साथ शुरू हुआ, जहां उन्होंने सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया।
1999 में, उन्हें ओडिशा की विधानसभा के लिए चुनाव लड़ने का अवसर मिला, जहां उन्होंने सफलता प्राप्त की। वे राज्य की सबसे युवा विधायक बनीं। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने आदिवासी समुदायों के अधिकारों और उनके कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
ओडिशा सरकार में मंत्री के रूप में कार्य : द्रौपदी मुर्मू ने 2000 में ओडिशा सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने कई विभागों का नेतृत्व किया, जिसमें वाणिज्य, परिवहन और खाद्य आपूर्ति शामिल थे। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण योजनाओं का निर्माण किया जो समाज के पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए समर्पित थीं।
एक मंत्री के रूप में, उन्होंने समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए लगातार संघर्ष किया। उनके नेतृत्व में, ओडिशा सरकार ने कई सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का कार्यान्वयन किया, जिनका उद्देश्य गरीब और वंचित वर्गों की सहायता करना था।
राज्यपाल का कार्यकाल : द्रौपदी मुर्मू को 2015 में झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। राज्यपाल के रूप में, उन्होंने राज्य की कानून व्यवस्था को बनाए रखने और विकास योजनाओं का कार्यान्वयन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कई बार आदिवासी समुदायों के अधिकारों के लिए अपनी आवाज उठाई और उनके कल्याण के लिए कई योजनाओं का समर्थन किया।
राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल में, उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने राज्य में आदिवासी कल्याण योजनाओं को लागू करने के लिए कई पहलों का समर्थन किया। उनके कार्यकाल के दौरान, झारखंड में कई विकास योजनाओं का कार्यान्वयन हुआ, जिससे राज्य का सामाजिक और आर्थिक विकास हुआ।
राष्ट्रपति बनने की प्रक्रिया : 2022 में, द्रौपदी मुर्मू को भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) द्वारा राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया। यह एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि वे भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन गईं। 25 जुलाई 2022 को उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली, और इस प्रकार वे भारतीय राजनीति में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक बनीं।
उनकी राष्ट्रपति बनने की प्रक्रिया ने पूरे देश को प्रेरित किया और यह दिखाया कि कैसे एक साधारण परिवार से उठकर कोई व्यक्ति उच्चतम पद तक पहुंच सकता है। राष्ट्रपति पद ग्रहण करने के बाद, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वे अपनी पहचान को बनाए रखें और समाज के सभी वर्गों की आवाज बनें।
राष्ट्रपति कार्यकाल (2022- वर्तमान) : द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति कार्यकाल भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण बदलावों का गवाह रहा है। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने सामाजिक मुद्दों, पर्यावरण संरक्षण, और महिला सशक्तिकरण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
राष्ट्रपति के रूप में, उन्होंने कई कार्यक्रमों और समारोहों में भाग लिया, जहां उन्होंने भारतीय संस्कृति और विविधता का सम्मान किया। उन्होंने राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए लगातार काम किया और समाज में सामंजस्य बनाए रखने के लिए कई पहल कीं।
सामाजिक न्याय और समानता के लिए प्रयास : राष्ट्रपति के रूप में, द्रौपदी मुर्मू ने हमेशा समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाई। उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता को सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाओं का समर्थन किया और सरकार से आग्रह किया कि वे आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए ठोस कदम उठाएं।
उनकी आवाज ने आदिवासी अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उन्होंने समाज के हर वर्ग को अपने विकास में भागीदार बनाने का प्रयास किया है। उन्होंने कई बार यह कहा कि जब सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर मिलेंगे, तभी देश का विकास संभव है।
महिला सशक्तिकरण पर ध्यान : द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति पद ग्रहण करने के बाद महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, और उनके आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कई योजनाओं का समर्थन किया।
उन्होंने कई कार्यक्रमों में भाग लिया, जिनका उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना था। उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा और उनके कल्याण के लिए सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील की और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया।
संस्कृति और विरासत का संरक्षण : द्रौपदी मुर्मू ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान भारतीय संस्कृति और विरासत के संरक्षण के लिए कई पहलों का समर्थन किया। उन्होंने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया और भारतीय कला, संगीत, और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया।
उनकी सोच थी कि संस्कृति का संरक्षण न केवल हमारी पहचान है, बल्कि यह सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा देता है। उन्होंने भारतीय संस्कृति की विविधता को सम्मानित किया और इसे संरक्षित करने के लिए सभी नागरिकों से सहयोग की अपील की।
शिक्षा के क्षेत्र में योगदान : राष्ट्रपति के रूप में, द्रौपदी मुर्मू ने शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने विशेष रूप से गरीब और वंचित वर्गों के बच्चों की शिक्षा पर जोर दिया।
उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाओं का समर्थन किया कि सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। उनके प्रयासों से कई शैक्षणिक कार्यक्रमों का कार्यान्वयन हुआ, जिससे शिक्षा का स्तर सुधरने में मदद मिली।
पर्यावरण संरक्षण के लिए पहल : द्रौपदी मुर्मू ने अपने कार्यकाल के दौरान पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर भी ध्यान दिया। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कई पहलों का समर्थन किया।
उनकी सोच थी कि पर्यावरण की सुरक्षा के बिना विकास संभव नहीं है, और इसलिए उन्होंने सतत विकास के लिए सभी नागरिकों से सहयोग की अपील की। उन्होंने कई वृक्षारोपण कार्यक्रमों का आयोजन किया, जिनका उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना था।
राष्ट्रपति पद की चुनौतियाँ : द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति कार्यकाल कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। कोविड-19 महामारी के कारण देश में स्वास्थ्य और आर्थिक चुनौतियाँ बढ़ी हैं।
राष्ट्रपति के रूप में, उन्होंने इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील की। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे इस कठिन समय में एकजुट रहें और एक-दूसरे का समर्थन करें।
भविष्य की दिशा : द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति कार्यकाल अभी जारी है, और वे लगातार देश के विकास और सामाजिक न्याय के लिए प्रयासरत हैं। उनके अनुभव और नेतृत्व ने उन्हें भारतीय राजनीति में
What's Your Reaction?






